नई दिल्ली। इस वर्ष 'मकर संक्रांति' 14 जनवरी 2018 यानी कि रविवार के दिन मनाई जा रही है। धर्मसिंधु के अनुसार इस दिन सूर्य का मकर में प्रवेश होने से ही सारे शुभ काम शुरु हो जाते हैं जैसे बच्चों के मुंडन, छेदन संस्कार , यही नहीं 14 तारीख के बाद लड़कियां मायके से ससुराल जाती हैं क्योंकि खरमास समाप्त हो जाता है। मकर संक्रांति ही एक ऐसा पर्व है जिसका निर्धारण सूर्य की गति से होता है।। पौष मास में जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस काल विशेष को ही संक्रांति कहते हैं। शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं और जब सूर्य मकर में प्रवेश करता है तो उसे 'मकर संक्रांति' के नाम से जाना जाता है।

मकर संक्रांन्ति मुहूर्त
- पुण्य काल मुहूर्त = 14:00 से 17:41
- मुहूर्त की अवधि = 3 घंटा 41 मिनट
- संक्रांति समय = 14:00
- महापुण्य काल मुहूर्त = 14:00 से 14:24
- मुहूर्त की अवधि = 23 मिनट

पूर्व से दक्षिण की ओर चलने वाली किरणें
मालूम हो कि सूर्य की पूर्व से दक्षिण की ओर चलने वाली किरणें बहुत अच्छी नहीं मानी जाती है किन्तु पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने पर सूर्य की किरणें अधिक लाभप्रद होती है, शायद इसलिए मकर संक्रान्ति के शुभ अवसर पर सूर्यदेव की आराधना करने का विधान है।

ऐतिहासिक महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।

भीष्म पितामह
महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।

जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण
इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ठ होता है-
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम,
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
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