Magha Purnima 2020: दांडारोपिणी पूर्णिमा 9 फरवरी को, जानिए पूजा विधि और महत्व
नई दिल्ली। माघ पूर्णिमा को दांडा रोपिणी पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन माघ मास समाप्त हो जाएगा और फाल्गुन माह प्रारंभ होगा। होली से ठीक एक माह पूर्व दांडा रोपकर फाल्गुन के आगमन की सूचना दी जाती है। दांडा रोपिणी पूर्णिमा 9 फरवरी 2020 रविवार को आ रही है। संपूर्ण उत्तर भारत, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश समेत ब्रज भूमि पर दांडा रोपण करने का बड़ा महत्व होता है। इसका शुभ मुहूर्त दोपहर 12.19 बजे से दोपहर 1.03 बजे तक अभीजित मुहूर्त और उसके बाद दोपहर 2.05 से 3.30 बजे तक रहेगा। ब्रज भूमि पर पूरे फाल्गुन माह में फागुन के उत्सव प्रारंभ हो जाते हैं।
गर्भवती स्त्रियां न करें यात्रा
फाल्गुन माह गर्भवती स्त्रियों के लिए विशेष सावधानी रखने का समय होता है। दांडा रोपने के दिन से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन के दिन तक गर्भवती स्त्रियों के नदी-नाले पार करने पर रोक लगा दी जाती है। प्राचीन परंपराओं के अनुसार यह गर्भवती स्त्री और उनकी कोख में पल रहे बच्चे की सुरक्षा के लिए किया जाता है। इस समय के दौरान नदी-नाले पार करने से गर्भपात का खतरा रहता है। बच्चे की सेहत के लिए यह ठीक नहीं रहता है। इन दिनों में तंत्र-मंत्र, टोने-टोटके भी काफी किए जाते हैं इसलिए दांडा रोपिणी पूर्णिमा के बाद से होलिका दहन तक गर्भवती स्त्रियों के कहीं आने-जाने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। इस एक माह के दौरान स्त्रियां अपने बाल, नाखून या अपने कपड़े यहां-वहां न फेंके। बाल नाखून काटकर फेंकना ही हो तो उन्हें कहीं जमीन में गड्ढा खोदकर दबा दें या उन्हें गौमूत्र या गाय के गोबर में डाल दें। इससे उन पर टोने टोटके का असर नहीं होगा।
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तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए फलदायी माह
फाल्गुन माह मंत्रों की सिद्धि के लिए अत्यंत जागृत दिन माने जाते हैं। इस माह में यदि आप कोई मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं और अपने गुरु से आज्ञा लेकर उनके मार्गदर्शन में मंत्र सिद्ध करें। इन दिनों में मां बगलामुखी, मां त्रिपुर सुंदरी समेत दसों महाविद्याओं आदि की साधना की जाती है। इन दिनों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र की विशेष साधना भी की जाती है।
माघ स्नान समाप्ति पर क्या करें
- माघ पूर्णिमा के दिन पिछले एक महीने से चल रहा माघ स्नान समाप्त हो जाता है।
- माघ स्नान की पूर्णाहुति के रूप में इस दिन किसी जानकार कर्मकांडी पंडित से पूर्णिमा का पूजन करवाएं।
- ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर यथायोग्य अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा, वस्त्र आदि भेंट करें।
- इस दिन गायों को हरा चारा खिलाने से पितृदोष समाप्त होते हैं।
- इस दिन गरीबों, भिखारियों को भी उनकी जरूरत की वस्तुएं भेंट करना चाहिए।
- पूर्णिमा के दिन भगवान शिव का अभिषेक कच्चे दूध से करने करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
- इस पूर्णिमा पर मखाने और मिश्री की खीर का नैवेद्य महालक्ष्मी को लगाने और उसका प्रसाद बांटने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
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