Lunar Eclipse 2018: चंद्रग्रहण के दौरान क्यों भोजन नहीं किया जाता?
लखनऊ। सूर्य के प्रकाश से पृथ्वी प्रकाशित होती है और सूर्य के अपवर्तन से चन्द्रमा प्रकाशित होता है। सूर्य की सुषुम्णा नाम की किरण से चन्द्रमा को प्रकाशित करती है। जब सूर्य तथा चन्द्रमा के मध्य पृथ्वी आ जाती है तब चन्द्र ग्रहण घटित होता है। चन्द्र ग्रहण के दो महत्वपूर्ण पहलू है। छाद्य और छाद्यक।भारत में एक मात्र दिखाई देने वाला चन्द्र ग्रहण अषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा दिन शुक्रवार 27/28 जुलाई, सन् 2018 की मध्यरात्रि में इस ग्रहण की खग्रास आकृति पूरे भारत में दिखाई पड़ेगी।
इस ग्रहण के स्पर्श आदि काल इस प्रकार है...
- स्पर्श {ग्रहण प्रारम्भ}-रात्रि 11 बजकर 54 मिनट।
- ग्रहण मध्य-रात्रि 1 बजकर 45 मिनट।
- खग्रास समाप्त-रात्रि 2 बजकर 43 मिनट।
- ग्रहण मोक्ष-रात्रि 3 बजकर 54 मिनट।
- ग्रहण का पर्वकाल-3 घंटा 55 मिनट।
- ग्रहण का परमग्रास मान-1,6 प्रतिशत।
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ग्रहण की स्थितियां
- स्पर्श-जब चन्द्रमा का पूर्वी भाग पृथ्वी के पश्चिमी भाग को स्पर्श करता है तो स्पर्श काल होता है।
- सम्मीलन-जब चन्द्रमा का पश्चिमी भाग पृथ्वी के पश्चिमी भाग को स्पर्श करता है, तब सम्मीलन होता है।
- उन्मीलन-जब चन्द्रमा का पूर्वी भाग पृथ्वी के पूर्वी भाग को स्पर्श करता है तो उन्मीलन होता है।
- पर्वकाल-सम्मीलन से उन्मीलन तक के काल को पर्वकाल कहते है।
- मोक्ष ग्रहण-जब चन्द्रमा पृथ्वी के पश्चिमी भाग को स्पर्श करता है, तब मोक्ष होता है।
- ग्रहण का सूतक-इस चन्द्र ग्रहण का सूतक 27 जुलाई सन् 2018 को अपरान्ह 2 बजकर 54 मि0 पर प्रारम्भ होगा।
प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या को ग्रहण क्यों नहीं होते है ?
क्योकि जो पृथ्वी अपनी धुरी पर झुकी हुई है, उसी कारणवश प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या को ग्रहण नहीं होता है।
ग्रहण काल में भोज्य पदार्थ त्याज्य क्यों?
ग्रहण काल में बैक्टेरिया का संक्रमण अधिक मात्र में होता है। अतः इस काल में भोज्य पदार्थ ग्रहण करने से संक्रमण अधिक होने की आशंका रहती है, इसलिए ग्रहण के दौरान कुछ भी खाना वर्जित है।
ग्रहण में सूतक कितने घंटे पहले लगता है?
सूर्य
ग्रहण
में
12
घण्टे
पहले
सूतक
लग
जाता
है
और
चन्द्र
ग्रहण
में
9
घण्टे
पहले
सूतक
लग
जाता
है।
पूर्णिमा
में
शर
का
अभाव
होने
के
कारण
चन्द्र
ग्रहण
होता
है।
मकर राशि में ग्रहणफल
मकर राशि के ग्रहण में जलीय जीवों, राजनीतिज्ञयों, प्रतिष्ठित व्यक्तियों के पारिवारिक जनों एवं सर्वसाधारण, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों, मन्त्रशास्त्रज्ञयों, औषध-निर्माताओं, सैनिकों व वृद्ध पुरूषों को अनेको कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
ग्रहण काल में ग्रहणदृष्टिफल
इस ग्रहण के समय मकरस्थ चन्द्रमा के साथ स्थित मंगल-केतु पर राहु-सूर्य व बुध की दृष्टि है। सूर्य-राहु का शनि के साथ षडष्टक योग भी बन रहा है। अतः राजनीतिज्ञयों एवं शासकों में भी कहीं-कहीं संघर्षमय स्थिति देखने को मिलेगी। कुछ प्रान्तों में भारी प्राकृतिक आपदा से जन-धन हानि के संकेत भी मिलते है। यहाॅ चन्द्रमा क्रूर ग्रहयुत एवं सूर्य-राहु से दृष्ट होने से राजनीतिज्ञयों के लिए भयावह स्थिति बन सकती है।
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