ये रत्न धारण करने से बढ़ती है पौरूष क्षमता
रत्न विज्ञान विभिन्न प्रकार के रत्नों के माध्यम से धारण करने वाले व्यक्ति के सुख-सौभाग्य, समृद्धि के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाने का मार्ग दिखाता है। आज हम एक ऐसे दुर्लभ उपरत्न की बात कर रहे हैं जो व्यक्ति के लिए भाग्यशाली तो होता ही है, उसके पौरूष बल में भी वृद्धि करता है। यह उपरत्न है कहरूवा। इसे तृणमणि, कर्पूर, वृक्षनिर्यासमणि, तृणाकर्ष या अंग्रेजी में अम्बेर भी कहा जाता है। यह कहरूवा वनस्पति जाति का उपरत्न है। अति प्राचीन समय की वनस्पतियों से निकला हुआ गोंद जाति का पदार्थ है जो समय के प्रभाव से भूगर्भ में पत्थर की तरह कठोर और चमकदार बन जाता है। पत्थर जाति के रत्नों की तरह इसमें भी चमक होती है, लेकिन यह वजन में बहुत हल्का होता है। यह रत्न अधिकांशतः बाल्टिक सागर में, इटली और रोमानिया में पाया जाता है। इसमें कर्पूर की तरह गंध आती है इसलिए इसे कर्पूर भी कहा जाता है। यह ज्वलनशील भी होता है। इस उपरत्न को रेशमी कपड़े से रगड़ने पर विद्युतीय शक्ति पैदा होती है और तिनके को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।
कहरूवा
के
लाभ
कहरूवा
को
धारण
करने
से
व्यक्ति
की
पौरूष
शक्ति
में
वृद्धि
होती
है।
वीर्य
वर्धक
है।
साथ
ही
हृदय
रोगों
में
भी
लाभ
पहुंचाता
है।
यदि
हृदय
रोग
नहीं
है
तो
इसे
धारण
करने
से
हृदय
रोग
की
आशंका
कम
हो
जाती
है।
हृदय
की
अनियंत्रित
धड़कनों
को
कंट्रोल
करता
है।
रक्त,
पित्त,
प्रदर,
खूनी
बवासीर,
आंतों
की
कमजोरी
दूर
करता
है।
त्वचा
संबंधी
रोगों
को
ठीक
करके
घाव
शीघ्रता
से
भरता
है।
पीलिया
होने
पर
भी
इसे
पहना
जा
सकता
है।
वैद्य
लोग
इसकी
भस्म
से
वटी
भी
बनाते
हैं।
उनके
मार्गदर्शन
में
इसका
सेवन
करने
से
आंतों
व
पेट
के
घाव
ठीक
होते
हैं।
काली
खांसी,
दमा
और
श्वांस
रोग,
सर्दी-जुकाम
में
कहरूवा
वटी
विशेष
असरकारी
होती
है।
उपयोग
कहरूवा
से
आभूषण
भी
बनाए
जाते
हैं।
कहरूवा
के
आभूषण
या
माला
पहनने
से
सुख-समृद्धि
आती
है।
स्त्रियो
के
लिए
यह
सौभाग्यसूचक
होता
है।
इसे
पहनने
से
मन
की
चंचलता
शांत
होती
है।
मानसिक
सुख-शांति
प्राप्त
होती
है।
असली
की
पहचान
कहरूवा
लाल,
पीला,
सफेद
रंग
में
पाया
जाता
है।
इसे
जब
हथेलियों
के
बीच
में
रखकर
रगड़ा
जाता
है
तो
कपूर
जैसी
गंध
आती
है।
अगर
बाल
या
रेशे
पर
इससे
स्पर्श
करवाया
जाता
है
तो
यह
चुंबक
की
भांति
उन्हें
अपनी
ओर
खींच
लेता
है।
यदि
इसे
आग
के
समीप
रखा
जाए
तो
मोम
की
तरह
गंध
छोड़ता
हुआ
जलने
लग
जाता
है।