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Vikram Samvat 2076: जानिए विक्रम संवत् 2076 का फल

By Pt. Anuj K Shukla
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लखनऊ। विक्रम संवत् का आरम्भ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से होता है। हमारा प्राकृतिक नववर्ष वसन्त नवरात्र से प्रारम्भ होता है। इस बार 6 अप्रैल से वसन्त नवरात्र प्रारम्भ हो रहे। इस बार विक्रमीय संवत् 2076 का नाम परिधावी संवत्सर है। इस संवत्सर का राजा शनि है और मन्त्री सूर्य है। मंगल ग्रह के पास नीरसेश व सस्येश पद है। चन्द्र के पास धान्येश एंव शनि के पास मेघेश विभाग है। धनेश का पद मंगल के पास है और दुर्गेश शनि है। इस प्रकार आकाशीय मन्त्रि मण्डिल के ग्रहों के पास संवत्सर परिधावी के विभिन्न पद है।

'परिधावी' नाम का संवत्सर का फल

धनधान्यसमृद्धिः स्याद भयं भूरि प्रजायते।अन्यथा क्षेममारोग्यं परिधावीति संज्ञिते।।

अर्थात इस संवत् में शासको में युद्धमय वातावरण एवं परस्पर तनाव के कारण अच्छी फसलों के बाद भी जनता में भय व अशंकाओं से भरा वातावरण रहता है। अनेक रोगों एवं युद्ध भय के कारण सभी प्राणि कष्ट प्राप्त करते है।

राजा शनि का फल

राजा शनि का फल

दुर्भिक्षकरकं रोगान् करोति पवनं तथा।
श्नैश्चराबद्धो दोषांश्च विग्रहंश्चैव भूजुजाम्।।

अर्थात शनि के राजा होने से वर्षा कम होती है और अनेक प्रकार के रोगों से जनता को पीड़ा होती है। उपद्रव हिंसा, युद्ध आदि से व्यापाक भय का वातावरण बनता है। अनेक राष्ट्रों में युद्ध अग्नि भड़कती है एवं राजनेताओं में परस्पर विरोध बढ़ते है। दुर्भिक्ष से जनता पीड़ित होती है।

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मन्त्री ‘सूर्य’ का फल

मन्त्री ‘सूर्य’ का फल

नृप भयं गदतोपिहि तस्करात् प्रचुरधान्यधनादिमहितले।

रसचयं हि समर्घतमं तदा रविमात्यपदं लभते यदा।।

अर्थात सूर्य के मन्त्री होने से शासको में परस्पर विरोध एवं वैमनस्य बढ़ता है। अपराधियों एवं तस्करों की गतिविधियों में वृद्धि होती है। धन-धान्य से समृद्धि व्याप्त रहती है। गुड़, शक्कर, रसादि पदार्थो में कम उपज के कारण तेजी होती है।

सस्येश ‘मंगल’ का फल

सस्येश ‘मंगल’ का फल

अथ च सस्यपतो धरणीसुते गजतुरंगखरोष्ट्रगवामपि
भवति रोगहतिश्च धना जल ददति नैव तुषान्नविनाशनम्।

अर्थात मंगल के सस्येश होने से ग्रीष्म ऋतु के धान्य जैसे कि जौ, गेहूॅ आदि की उपज कम होती है। अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि से खड़ी फसलों को नुकसान होता है। दुग्ध उत्पदान में मवेशियों के रोगों के कारण कमी होती है। यातायात के साधनों अग्निकाण्ड एवं दुर्घटनाओं के कारण जन-धन का नाश होता है।

धान्येश चन्द्र का फल

धान्येश चन्द्र का फल

चन्द्रे धान्यधिपे जाते तोयपूर्णा वसुन्धरा।
वर्धन्ते सर्वसस्यानि राजते विविधोत्सवैः।।

अर्थात चन्द्र के धान्येश होने से ऋतु के धान्य जैसे-मूॅग, बाजरा, सरसों आदि फसल की अच्छी उपज होती है। धरती पर अच्छी वर्षा होती है।

मेघेश ‘शनि' का फल-

रविसुते जलदाधिपतौ भवेद् विरलवृष्टिवती वसुधा तदा।
मनसि तापकरो नृपतिः सदा विविधरोगयुता जनता तदा।।

अर्थात शनि के मेघेश होने पर खण्डवृष्टि होती है। सरकार की नीतियों के कारण एवं रोग भय के कारण जनता के मन में क्षोभ उत्पन्न होता है। परिधावी नामक संवत्सर का राजा शनि है एंव मन्त्री सूर्य है।

शनि एक न्याय प्रिय ग्रह है

शनि एक न्याय प्रिय ग्रह है

शनि एक न्याय प्रिय ग्रह है और गरीबों का मसीहा है। सबको साथ लेकर चलने वाला ग्रह शनि कोर्ट-अदालत का कारक भी होता है। अनुशासन प्रिय व दण्ड का कारक शनि सबको न्याय दिलाने में विश्वास करता है। राजा शनि होने से कुछ महत्वपूर्ण न्यायिक मुकद्मे का फैसला भी हो सकता है। मन्त्री सूर्य है, सूर्य सबको ऊर्जा देने वाला है व सबका पोषण करने वाला ग्रह है। धरती पर जो कुछ उपलब्ध है, उसे जीवन प्रदान करने में सूर्य की ही भूमिका होती है। सूर्य की ऊर्जा के बगैर धरती पर कोई भी प्राणी व औषधि जीवित नहीं रह सकती है। वैसे तो शनि और सूर्य का आपसी बैर है। फिर भी भारतीय लोकतन्त्र की यह जोड़ी कुछ ऐतिहासिक कार्य करने में सफल होगी। राजा और मन्त्री में आपसी विरोधाभास रह सकता है।

राजा का सलाहकार बहुत ही बुद्धिमान, नेक व ईमानदार

अतः राजा का सलाहकार बहुत ही बुद्धिमान, नेक व ईमानदार होगा जिससे राजा को सही मार्गदर्शन प्राप्त होगा। राजा शनि होने के फलस्वरूप भ्रष्टाचार पर अपेक्षित अंकुश लगेगा व गरीब जनता को लाभ मिलेगा। पड़ोसी राज्यों से मधुर सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास लगभग निष्फल ही रहेगा। राजा देश व राज्य के हित के लिए कठोर निर्णय लेने में लेश मात्र भी संकोच नहीं करेगा। राजा के कार्यो की जनता भूरि-भूरि प्रशंसा करेगी। आर्थिक विकास की दर बेहतर होगी, आतंकवादी प्रयास निष्फल होगें। अतीत में किये गये विभिन्न प्रकार के घपले व भ्रष्टाचार के मामलें प्रकाश में आयेगी। दोषियों व अपराधियों को कठोर-कठोर से सजा मिलेगी।

पक्ष व विपक्ष में विवाद की स्थिति कम

मन्त्री सूर्य होने के कारण संसद व विधान सभाओं में तनावपूर्ण स्थिति होने के बावजूद भी राजा के सलाहकार राजा को ऐसी सलाह देंगे जिससे सत्ता पक्ष व विपक्ष में विवाद की स्थिति कम रहेगी। आर्थिक उन्नति के लिए विशेष योजनाओं की शुरूआत होगी। देश के पूर्वी व उत्तरी राज्यों में सुरक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम दे सकती है। संवत्सर का मन्त्रिपरिषद सुगठित व वैचारिक दृष्टि से एकमत वाला बना रहेगा। इस प्रकार अच्छी वर्षा होगी, उत्तम कृषि होगी एंव जनता सुख शान्ति से युक्त होकर अपना जीवन व्यतीत करेगी। न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए कुछ कठोर कदम उठाये जा सकते है।

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English summary
Vikram Samvat About this soundListenis the historical Hindu calendar from the Indian subcontinent and the official calendar of modern-day India and Nepal. It uses lunar months and solar sidereal years.
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