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Hanuman Jayanti 2018: जानिए अष्ट सिद्धि और नव निधियों का रहस्य

By Pt Gajendra Sharma
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Hanuman Jayanti : भगवान हनुमान के नाम का जानें क्या है अर्थ | Boldsky

नई दिल्ली। राम भक्त हनुमान बल, बुद्धि, साहस, ज्ञान और विवेक प्रदान करने वाले देवता है। इनकी भक्ति से व्यक्ति के जीवन में सदाचार, परोपकार, ईश्वर के प्रति समर्पण, आध्यात्मिकता, पुरुषार्थ जैसे अनेक सकारात्मक गुणों का जन्म होता है। हनुमानजी को कलयुग के जागृत देव कहा गया है और वे सप्त चिरंजीवी में शामिल भी हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि हनुमानजी आज भी इस पृथ्वी पर किसी न किसी रूप में निवास कर रहे हैं। कहा भी गया है कि जिस स्थान पर सुंदरकांड का पाठ होता है वहां हनुमानजी स्वयं उसका श्रवण करने के लिए उपस्थित होते हैं। हनुमान को अष्ट सिद्धि और नव निधियों का दाता कहा गया है। हनुमान चालीसा की एक लाइन भी है 'अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता"। अर्थात हनुमान की भक्ति से व्यक्ति के जीवन में आठ प्रकार की सिद्धियां और नौ प्रकार की निधियां साकार हो जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं ये अष्ट सिद्धि और नव निधियां हैं क्या। आइये जानते हैं इसका रहस्य...

अष्ट सिद्धियां और नव निधियां

अष्ट सिद्धियां और नव निधियां

हनुमानजी को अष्ट सिद्धियां और नव निधियां सूर्यदेव से प्राप्त हुई थीं। हनुमानजी के पास आठ प्रकार की सिद्धियां थीं। इनके प्रभाव से वे किसी भी व्यक्ति का रूप धारण कर सकते थे। अत्यंत सूक्ष्म से लेकर अति विशालकाय देह धारण कर सकते थे। जहां चाहे वहां मन की शक्ति से पल भर में पहुंच सकते थे।

मन की शक्ति

मन की शक्ति

  • अणिमा : अष्ट सिद्धियों में सबसे पहली सिद्धि है अणिमा। इसका अर्थ के अपने शरीर को एक सुक्ष्म अणु के बराबर बना लेने की शक्ति। जिस तरह अणु को सामान्य आंखों से देखा नहीं जा सकता, ठीक उसी प्रकार अणिमा सिद्धि प्राप्त कर लेने के बाद कोई भी अन्य व्यक्ति आपको देख नहीं सकता। जितना चाहें उतना अपने शरीर को सूक्ष्म बनाया जा सकता है।
  • महिमा : अणिमा के ठीक विपरीत सिद्धि है महिमा। इसके जरिए शरीर को असीमित विशालता प्रदान की जा सकती है। किसी भी सीमा तक शरीर को बड़ा किया जा सकता है।
  • गरिमा : इस सिद्धि के बल पर अपने शरीर के भार को असीमित तरीके से बढ़ाया जा सकता है। इसमें शरीर का आकार तो उतना ही रहता है लेकिन भार इतना बढ़ जाता है कि कोई हिला तक नहीं सकता।
  • लघिमा : गरिमा के ठीक विपरीत लघिमा में शरीर का भार लगभग खत्म किया जा सकता है। इसमें शरीर इतना हल्का हो जाता है कि वायु से भी तेज गति से उड़ा जा सकता है।
  • सिद्धि का बल

    सिद्धि का बल

    • प्राप्ति : इस सिद्धि में बेरोकटोक किसी भी स्थान पर जाया जा सकता है। अपनी इच्छानुसार अदृश्य हो सकते हैं।
    • प्राकाम्य : इस सिद्धि के बल पर किसी दूसरे व्यक्ति के मन की बात को समझा जा सकता है। सामने वाला व्यक्ति क्या सोच रहा है, वह क्या चाहता है, आपके पास किस उद्देश्य से आया है। यह सब प्राकाम्य सिद्धि से संभव होता है।
    • ईशित्व : इस सिद्धि के जरिए ईश्वर के समान पद पाया जा सकता है। जिसके पास यह सिद्धि होती है, संसार उसकी पूजा करता है।
    • वशित्व : इस सिद्धि के जरिए किसी को भी अपना दास बनाया जा सकता है। जिसके पास यह सिद्धि होती है वह किसी को भी वशीभूत कर सकता है।
    • ये हैं नव निधियां

      ये हैं नव निधियां

      • पद्म निधि : इस निधि से सात्विकता के गुणों का विकास होता है। ऐसा व्यक्ति स्वर्ण, चांदी आदि का दान करता है।
      • महापद्म निधि : धार्मिक भावनाएं प्रबल होती है। दान करने की क्षमता आती है।
      • नील निधि : नील निधि होने से व्यक्ति सात्विक रहता है और उसके पास कभी धन की कमी नहीं होती। तीन पीढ़ियों तक संपत्ति बनी रहती है।
      • मुकुंद निधि : इससे रजोगुणों का विकास होता है। राज्य संग्रह में व्यक्ति लगा रहता है।
      • सबका बेड़ा पार करते हैं हनुमान

        सबका बेड़ा पार करते हैं हनुमान

        • नंद निधि : जिसके पास नंद निधि हो उसमें राजस और तामस गुणों की अधिकता होती है।
        • मकर निधि : जिसके पास मकर निधि हो वह विशाल शस्त्रों का संग्रह करता है।
        • कच्छप निधि : जिसके पास कच्छप निधि हो वह अपनी संपत्ति का सुखपूर्वक भोग करता है।
        • शंख निधि : यह निधि एक पीढ़ी के लिए होती है। यह निधि हो तो अतुलनीय संपत्ति का मालिक होता है।
        • खर्व निधि : खर्व निधि जिसके पास हो, वह विरोधियों और शत्रुओं पर विजय हासिल करता है।

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Comments
English summary
Hanuman Jyanti on 31st march 2018. here is Importance of Ashta Siddhis mantra please have a look.
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