Chaitra Navratri 2018: अष्टमी-नवमी दोनों आज, जानिए कन्या पूजन का सही वक्त
नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि का आज 8वां दिन है, जिसे अष्टमी कहते हैं, लेकिन इस बार संयोग ऐसा है कि आज अष्टमी और नवमी दोनों एक ही दिन पड़ रही हैं। इसलिए आज जो लोग अष्टमी का व्रत रख रहे हैं वो अपना व्रत आज रात नवमी लग जाने पर तोड़ सकते हैं। अष्टमी तिथि आज सुबह 10 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगी जो कि 25 मार्च को सुबह 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगी तो वहीं नवमी तिथि 26 मार्च को सुबह सूर्य निकलने से पहले ही समाप्त हो जाएगी।
महाअष्टमी मां गौरी का दिन
मालूम हो कि महाअष्टमी मां गौरी का दिन है जो कि बेहद सरस, सुलभ और मोहक है। आपको बता दें कि नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों को सभी कल्मष धुल जाते हैं, पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं जाते।
इसलिए पड़ा महागौरी का नाम
मां पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए बड़ी कठोर तपस्या की थी। इस कठोर तपस्या के कारण इनका शरीर एकदम काला पड़ गया। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से मलकर धोया तब वह विद्युत प्रभा के समान अत्यंत कांतिमान-गौर हो उठा। तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा।
मां की स्तुति करने के लिए यह मंत्र पढ़ना चाहिए..
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां के सिद्धिरूप की पूजा
तो वहीं महानवमी..को मां के सिद्धिरूप की पूजा होती है। मां दुर्गे के इसी रूप को शतावरी और नारायणी भी कहते हैं। दुर्गा के सभी प्रकारों की सिद्धियों को देने वाली मां की पूजा का आरंभ निम्न श्लोक से करना चाहिए।
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
सिद्धिदात्री
ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। नवदुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक सेवन करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिद्धिदात्री देवी की आराधना करना चाहिए। अपनी सारी गलतियों के लिए मां से सच्चे दिल क्षमा मांगनी चाहिए,मां जरूर माफ कर देती हैं।
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