दांपत्य सुख और प्रेम को बढ़ाता है गौरी-शंकर रूद्राक्ष
नई दिल्ली। प्राकृतिक रूप से जुड़े दो रूद्राक्षों को गौरी शंकर रूद्राक्ष कहा जाता है। यह रूद्राक्ष भगवान शिव एवं माता पार्वती का प्रत्यक्ष स्वरूप है। इसे धारण करने वाले को शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है। यह रूद्राक्ष गृहस्थ सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इसलिए जिन लोगों का दांपत्य जीवन ठीक नहीं चल रहा है, या जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब हो रहा है उन्हें गौरी शंकर रूद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए। जिन स्त्रियों को संतानसुख प्राप्त नहीं हो पा रहा है या गर्भ से संबंधित कोई समस्या है उन्हें भी यह रूद्राक्ष जरूर पहनना चाहिए।
आइए जानते हैं गौरी शंकर रूद्राक्ष को कब और कैसे धारण करें और यह किन समस्याओं के निराकरण में सहायक होता है
गृहस्थ जीवन में सुख-शांति के लिए धारण करें ये रूद्राक्ष
- गृहस्थ जीवन में सुख-शांति और आपसी प्रेम बढ़ाने में गौरी शंकर रूद्राक्ष चमत्कारिक रूप से कार्य करता है। जिन लोगों को पारिवारिक सुखों की कमी है वे यह रूद्राक्ष पहनें।
- पारिवारिक शांति और वंश वृद्धि में भी यह रूद्राक्ष सहायक माना गया है। जिन स्त्रियों को गर्भ ठहरने में समस्या है वे इसे धारण करें।
- आध्यात्मिक राह पर चलने की इच्छा रखने वाले लोग इस रूद्राक्ष को चांदी की चेन में धारण करें। इससे उन्हें अंतदृष्टि विकसित होती है।
- इस रूद्राक्ष को अभिमंत्रित करके तिजोरी में रखने से कभी आर्थिक संकटों का सामना नहीं करना पड़ता।
- जिस घर में गौरी शंकर रूद्राक्ष होता है वहां बुरी शक्तियों का साया नहीं मंडराता। बुरी नजर से बचाव होता है।
- जिन स्त्री या पुरुषों को कोई यौन समस्या है वे भी यह रूद्राक्ष धारण करें, समस्या समाप्त हो जाएगी।
- गौरी शंकर रूद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। बार-बार व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता।
यौन समस्याओं को दूर करता है गौरी शंकर रूद्राक्ष
कैसे और कब धारण करें
गौरी शंकर रूद्राक्ष भगवान शिव और माता पार्वती का प्रतीक है। इस रूद्राक्ष को शुक्ल पक्ष में सोमवार, मास शिवरात्रि, रवि पुष्य संयोग अथवा सवार्थ सिद्धि योग में अभिमंत्रित करके पहनना चाहिए। शुभ संयोग में इस रूद्राक्ष को सिद्ध करने के लिए सबसे पहले प्रात:काल दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर, स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने पूजा स्थान में पूर्वाभिमुख होकर बैठ जाएं। गौरी शंकर रूद्राक्ष को चांदी की कटोरी में स्थापित करके उसे गंगाजल और कच्चे दूध के मिश्रण से अच्छे से धो लें और साफ कपड़े से पोछ लें। अब चांदी की कटोरी को खाली करके सुखाकर उसमें पुन: गौरी शंकर रूद्राक्ष स्थापित करें। इस पर चंदन और अक्षत अर्पित करें। अब एक-एक माला ऊं नम: शिवाय, ऊं नम: दुर्गाए और ऊं अर्धनारीश्वराय नम: मंत्र की जपें। तीनों मालाएं पूरी होने के बाद रूद्राक्ष को चांदी की चेन या लाल धागे में डालकर गले में धारण करें।
इन बातों का रखें ध्यान
गौरी शंकर रूद्राक्ष अत्यंत सिद्ध, चमत्कारिक और पवित्र होता है। अत: इस रूद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए। चोरी, डकैती, अपशब्द कहना, स्त्रियों का अपमान, बच्चों से दुर्व्यवहार, मांस-मदिरा का सेवन, सूदखोरी, परस्त्री पर बुरी नजर जैसे समस्त त्याज्य कर्मों से दूर रहना चाहिए। जो व्यक्ति गौरी शंकर रूद्राक्ष धारण करने के बाद भी ये सभी गलत कार्य करता है, उस पर उल्टा असर होता है और भयानक संकटों में फंस जाता है।
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