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ज्योतिष से जानें क्या है पंचक, इसमें क्या करें और क्या ना करें?

By पं. अनुज के शुक्ल
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ज्योतिष शास्त्र के मुहूर्त प्रकरण में पांच नक्षत्रों को पंचक की श्रेणी में रखा गया है। (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र) इन पांच नक्षत्रों को पंचक कहा गया है। गोचर में चन्द्रमा जब कुम्भ और मीन राशि में भ्रमण करता है तो इस काल को पंचक कहते है। ऐसा शास्त्रों में उल्लेखित है कि इन नक्षत्रों में कोई भी काम किया जायेगा तो उस काम को पांच बार पुनः करेंगे। इसलिए पंचक के नक्षत्रों में अशुभ काम को करना वर्जित है।

पंचक के नक्षत्रों का प्रभाव-

  • धनिष्ठा में अग्नि का भय रहता है।
  • शतभिषा में काम करने से घर में तनाव का वातावरण रहेगा।
  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में अशुभ काम करने से घर में रोग बना रहता है।
  • उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में अशुभ कर्म करने से आर्थिक दण्ड व सामाजिक अपमान होने की आशंका रहती है।
  • रेवती नक्षत्र में अशुभ कार्य करने से धन हानि तथा दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है।

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पंचक नक्षत्रों में न करने वाले पांच कार्यों के लिए नीचे की स्लाइडों पर क्लिक कीजिये..

दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं

दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं

दक्षिण दिशा का मालिक यम है, इसलिए दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए।

परिवार में क्लेश

परिवार में क्लेश

रेवती नक्षत्र में मकान की छत डालना अशुभ है। ऐसा करने से धन हानि होती है और परिवार में क्लेश बना रहता है।

अग्नि का भय

अग्नि का भय

धनिष्ठा नक्षत्र में लकड़ी एकत्रित करना या फर्नीचर का काम करवाना अशुभ होता है। ऐसा करने से अग्नि का भय रहता है।

अशुभ

अशुभ

पंचक में चरपाई बनाना, बेड बनवाना, डाइनिंग टेबल आदि बनवाना अशुभ होता है।

किसी की मृत्यु हो तब

किसी की मृत्यु हो तब

सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पंचक काल में यदि किसी की मृत्यु होती है या उस शव का अन्तिम संस्कार किया जाता है, तो ऐसा मानना है कि उस कुटुम्ब अथवा उससे सम्बन्धित रिलेशन में पांच लोगों की और मृत्यु होती है।

उपाय

उपाय

यदि परिस्थितिवश किसी शव का अन्तिम संस्कार पंचक में करना पड़े तो कुश के पांच शव बनाकर उस पर जौ का चूर्ण लेप करके बरगद या मिटटी के पात्र में रखकर मनुष्य के शव के समीप रखकर संकल्प करें तत्पश्चात कुश के बने पाॅचों पुतलों को क्रमशः ह्रदय, कमर के बांये व दांये हिस्से में और दोनों घुटनों पर एक-2 कुश का पुतला रखकर मनुष्य के शव को जलाना चाहिए। विधि-विधान से पंचक पूजन करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।

शुद्धि कर्म व तेरहीं के पश्चात पुनः पंचक पूजन करायें। सवा लाख महामृत्युंजय मृत्यु का जप करवाने से पंचक दोष पूर्णतः समाप्त हो जाता है।

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English summary
Panchak in Sanskrit means a group of ‘Five’. Starting from Dhanistha - 2nd quarter, the last five Nakshatras Shatbhishaj, Poorvabhadrapada, Uttarbhadrapada and Revati on the Zodiac belt are known as Panchak.
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