आखिर शादी के बाद लड़की को ही क्यों छोड़ना पड़ता है घर?
अक्सर कहा जाता है कि लड़कियों के दो घर होते हैं, वो घर उनका नहीं जहां वो जन्म लेती हैं क्योंकि शादी के बाद उन्हें वो घर छोड़कर पति के घर जाना पड़ता है। हर पिता की ख्वाहिश भी यही होती है कि उसे कन्यादान का सौभाग्य मिले, जब लड़कियां शिकायत करती हैं तो उनके पिता बोलते हैं कि बेटा ये प्रथा है..जब राजा जनक माता सीता को नहीं रख पाये तो हम क्या रख पायेंगे?
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लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है, आखिर किसने बनायी ये परंपरा और क्यों.. कहते हैं ना कि हर नियम के पीछे कोई ठोस कारण होता है तो इस प्रथा के पीछे भी कई बड़े कारण हैं जिन्हें जानना आपको बहुत जरूरी है।
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आईये नीचे की स्लाइडों में जानते हैं कि आखिर लड़की की ही क्यों होती है शादी के बाद विदाई..
नारी ही दे सकती हैं जीव को जन्म
शास्त्रों के मुताबिक नारी का जन्म..ही ब्रह्मा जी ने संस्कारों और जीवन रचने के लिए किया था लेकिन नारी वहां कैसे किसी जीव को जन्म दे सकती है जहां उसका खुद का जन्म हुआ है इसलिए नारी को स्थान परिवर्तन होना जरूरी है इस कारण लड़की की शादी के बाद विदाई होती है।
नारी देवी स्वरूप
मान्यता ये है कि नारी देवी स्वरूप होती है, वो अर्धांगिनी के रूप में लक्ष्मी और अन्नपूर्णा बनकर पति के साथ जुड़ जाती है इसलिए उसे पारि-ग्रहण संस्कार के बाद अपने पति के साथ जाना होता है।
नारी एक सरिता रूप
वेदों के मुताबिक नारी एक सरस सरिता का रूप है, जब वो कन्या रूप में होती है तो उसका वात्सल्य जीवन उसके मां-बाप को अनुग्रहित करता है लेकिन जब वो पत्नी बनती है तो उसे वो मिठास अपने पति के जीवन में घोलनी होती है जो कि सागर के रूप में होते हैं और प्रकृति के नियम के मुताबिक हर नदी को सागर से जाकर मिलना होता है इसी कारण लड़कियां पति के घर आती हैं।
नारी से ही त्याग की उम्मीद
वेदों में ये भी लिखा है नारी सृजन, दया, प्रेम, त्याग, धैर्य, संस्कार और शक्ति की मानक है, पुरूषों में ये गुण नहीं होता है इसी कारण उनसे ही त्याग की उम्मीद की जाती है इसलिए प्रकृति ने ये नियम बनाये कि सृष्टि के निर्माण के लिए महिलाओं को ही अपना पैतृक निवास छोड़ना होगा शादी के बाद।
पति की परछाई
पाणिग्रहण संस्कार के बाद लड़की-लड़के की परछाई बन जाती हैं और परछाई तो वहीं रहती हैं ना जहां शरीर होगा इसलिए लड़कियों को शादी के बाद घर छोड़कर जाना जाता है।
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