Rice on Mars: अमेरिकी यूनिवर्सिटी की रिसर्च से क्रांति की संभावना, जानिए चावल के बारे में क्या पता लगा?
Rice on Mars वैज्ञानिकों के लिए बेहद कमाल के परिणाम वाला शोध साबित हो सकता है। ब्रह्मांड में पानी की कल्पना और रिसर्च के बीच मंगल ग्रह यानी मार्स पर चावल को सहेजने वाले जीन पर अमेरिका में शोध हो रहा है।
Rice on Mars सुनने में भले ही बेहद चौंकाने वाली बात लगे, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह पर चावल की खास किस्म की संभावनाओं के संकेत मिले हैं। वैज्ञानिकों के शोध में ऐसा gene पाया गया है, जिसकी मदद से मार्स यानी मंगल ग्रह के वातावरण में भी चावल को नुकसान नहीं होगा। एक रिपोर्ट के अनुसार Scientist Abhilash Ramachandran और उनके सहयोगियों ने अमेरिका की University of Arkansas में लाल ग्रह पर चावल की संभावनाओं को टटोल रहे हैं।
मंगल ग्रह पर मनुष्य जीवन की तलाश
दरअसल, मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश लंबे समय से की जा रही है। भारत की इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी- NASA समेत कई देशों के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। ऐसे में संभावनाएं हैं कि भले ही वो भविष्य बहुत दूर है, लेकिन संभवत: एक दिन ऐसा आएगा जब मनुष्य मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक कॉलोनी बसा लेगा। ऐसा करने में कामयाब होने पर ब्रह्मांड में धरती के अलावा Mars दूसरा प्लैनेट बन जाएगा जहां, इंसानों की लाइफ होगी।
वास्तविकता से बहुत दूर नहीं
आलोचक 'मंगल पर जीवन' वाली थ्योरी ख्याली पुलाव कहकर भले ही खारिज कर दें, लेकिन ताजा शोध में ये बात सामने आई है कि लाल ग्रह पर चावल उगाया जा सकता है। उगाई गई फसल से अपने पसंदीदा चावल के व्यंजन भी बना सकते हैं! यह सुनने में साइंस फिक्शन जैसा लगता है, लेकिन वैज्ञानिक पहलुओं से वाकिफ शोधकर्ताओं का मानना है कि यह वास्तविकता से बहुत दूर नहीं है।
Rice on Mars पर कौन शोध कर रहा है?
एक रिपोर्ट के अनुसार वर्षों तक रिसर्च के बाद, वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसे जीन की पहचान की है, जिसमें सुधार किए जाने पर (tweaked) इसकी मदद से चावल की फसलों को मंगल ग्रह के कठोर वातावरण में भी सुरक्षित रखा जा सकेगा। जीन चावल को धरती के वातावरण से बाहर भी जीवित रहने की क्षमता प्रदान कर सकता है। अमेरिका की अर्कांसस विश्वविद्यालय में ग्रह वैज्ञानिक अभिलाष रामचंद्रन और उनके सहयोगियों की टीम इस अनूठी खोज में जुटे हैं।
मंगल की सतह जैसी मिट्टी के लिए कड़ी मशक्कत
शोधकर्ताओं ने रिसर्च के दौरान देखा कि चावल की फसलें मंगल की मिट्टी में मौजूद तनाव को कैसे संभालेंगी? इसके लिए, उन्होंने कैलिफोर्निया के मोजावे रेगिस्तान से बेसाल्ट खनन से प्राप्त नियमित पोटिंग मिक्स और मार्टियन मिट्टी सिमुलेंट के मिश्रण की एक सीरीज में चावल उगाए।
Mars पर छोटे अंकुर और गुच्छेदार जड़ों वाले चावल
मंगल की गंदगी में पृथ्वी की तुलना में कम पोषक तत्व होते हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, चावल के पौधे मंगल ग्रह की मिट्टी में उगते हैं। भले ही धरती के मुकाबले मंगल पर छोटे अंकुर और गुच्छेदार जड़ों वाले चावल उगाए गए, लेकिन वैज्ञानिकों ने अपने शोध के आधार पर बेहतर विकास की सूचना दी। उन्होंने मंगल ग्रह की मिट्टी के साथ नियमित मिट्टी को मिलाया। चावल की खेती के लिए इस मिश्रण का उपयोग किया गया।
अलग-अलग चावल के पौधों को उगाने की कोशिश
शोध के बारे में आई एक रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने कहा, मंगल की मिट्टी में कुछ यौगिक भी होते हैं जो पौधों के लिए जहरीले हो सकते हैं। इसलिए, शोधकर्ताओं ने अलग-अलग चावल के पौधों को उगाने की कोशिश की - एक जंगली किस्म और दो ऐसी किस्में जो सूखा जैसी स्थिति में भी बरकरार रहते हों। पर्यावरणीय तनावों को बखूबी झेलने वाली किस्मों को मंगल ग्रह पर पाए जाने वाले धूल जैसी मिट्टी में उगाने का प्रयास किया गया। मंगल ग्रह जैसी मिट्टी पौधे के जहरीले पर्क्लोरेट (plant toxicant perchlorate) के साथ तैयार की गई।
SnRK1a Gene की मदद से मंगल पर चावल
वैज्ञानिकों की उम्मीद के अनुसार ही कोई भी चावल की किस्म उच्च परक्लोरेट सांद्रता (perchlorate concentrations) में नहीं उपजी। हालांकि, एक mutant variety में आशाजनक जड़ और तने का विकास देखा गया। जंगली किस्म कम पर्क्लोरेट सांद्रता पर जड़ों को अंकुरित करने में कामयाब रही। ये निष्कर्ष SnRK1a gene में और सुधार का संकेत देते हैं। पर्यावरणीय दबावों के लिए पौधे की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने वाला ये जीन संभवतः मंगल ग्रह की सतह पर चावल की किस्म उगाने के मामले में सुधार कर सकता है।
मंगल ग्रह पर चावल का विचार क्यों अच्छा
Mars-Suited rice varieties पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों के अनुसार, मंगल ग्रह पर खाद्य आपूर्ति का परिवहन बेहद महंगा होगा। ऐसे में जब इंसानों को अंतरिक्ष में प्रवेश और खास तौर पर मंगल ग्रह पर भेजे जाने की तैयारियां हो रही हैं, मंगल पर उगाई जा सकने वाली चावल की किस्मों पर शोध को काफी अच्छा विचार माना जा रहा है।
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