Odisha Black Gram Crop की खेती को दे रहा बढ़ावा, 70 हजार हेक्टेयर में बुवाई, जानिए मकसद
ओडिशा सरकार ने इस साल से राज्य भर में चना और काले चने फसलों की खेती को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। ये पहल राज्य में चावल की परती का प्रबंधन करने के मकसद से लिया गया है।
Odisha Black Gram Crop की खेती को प्रोमोट कर रहा है। प्रदेश में करीब 70 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में बुवाई शुरू हो चुकी है। बता दें कि ओडिशा के अधिकांश किसानों के लिए चावल प्रमुख फसल है, लेकिन चावल की परती का प्रबंधन करने के मकसद से काले चने की खेती की जा रही है।बता दें कि ओडिशा के किसान खरीफ (मानसून) सीजन में चावल की खेती करते हैं। हालाँकि, पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण, अधिकांश खेत रबी (सर्दियों) के मौसम में परती रहते हैं। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा, एक ही फसल के कारण किसान कृषि से अच्छा लाभ नहीं कमा सकते।
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कृषि एवं खाद्य उत्पादन निदेशक प्रेम चंद्र चौधरी ने कहा, "धान की कटाई के तुरंत बाद दालों का उत्पादन करके किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। दालें मिट्टी के स्वास्थ्य में भी सुधार करती हैं। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करता है बल्कि किसानों के भोजन में अतिरिक्त पोषण भी प्रदान करता है। हम केवल अधिक उपज प्राप्त करने के लिए किसानों को बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से दालों की खेती करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। राज्य सरकार ने एक लाख हेक्टेयर धान की परती भूमि पर दालों की खेती करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन उचित बीज के अभाव में वह ऐसा नहीं कर सकी। अब अगले साल एक लाख हेक्टेयर धान की परती भूमि में दलहन का उत्पादन करने का लक्ष्य है।
यह परियोजना ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (OUAT) और अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय के लिए अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) द्वारा खेत के छोटे हिस्से में कार्यान्वित की जा रही है। अधिकांश चावल की परती का प्रबंधन फील्ड अधिकारी कर रहे हैं। ICRISAT और ओडिशा सरकार के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके तहत कोरापुट जिले में 5000 हेक्टेयर चने और काले चने (chickpea and black gram) (बीड़ी) की खेती कई गई है।
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