Grape Farming : भारत में अंगूर की खेती में अपार संभावनाएं, करोड़ों रुपये का निर्यात
भारत में अंगूर की खेती को लेकर अपार संभावनाएं हैं। महाराष्ट्र में देश का 70-80 फीसद अंगूर पैदा होता है। नासिक को इंडिया का वाइन कैपिटल भी कहा जाता है। जानिए अंगूर की हाईब्रिड किस्म-एआरआई- 516 की खेती कैसे करें।
नई दिल्ली, 07 जून : अंगूर के शौकीन लोगों को अक्सर इससे बनने वाली वाइन में भी रूचि होती है। अंगूर और इससे बनने वाली वाइन का कारोबार करोड़ों रुपये का है। भारत में अंगूर की खेती (Grape Farming) में अपार संभावनाएं हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत से अंगूर आयात करने वाले टॉप पांच देश 243 मिलियन अमेरीकी डॉलर से अधिक मूल्य के अंगूर इंपोर्ट करते हैं। वार्षिक ग्रेप वाइन एक्सपोर्ट भी 300 करोड़ से अधिक का होता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि अंगूर की उन्नत किस्म ARI 516 की खेती में मुनाफे की भरपूर संभावनाएं हैं। पढ़िए रिपोर्ट
गौरतलब है कि अंगूर उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में 12वें स्थान पर है। भारतीय अंगूरों से जुड़े एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मार्च, 2020 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बताया था कि पुणे स्थित अघाकार रिसर्च इंस्टीट्यूट (Agharkar Research Institute) में विकसित की गई अंगूर की उन्नत रस से भरपूर है। अंगूर की उत्कृष्ट किस्म- एआरआई- 516 दो अलग-अलग किस्मों को मिलाकर विकसित की गई है।
इन राज्यों के किसान कर सकते हैं खेती
अंगूर की एआरआई- 516 (ARI 516 Grape) वेराइटी जूस,किशमिश, जैम और रेड वाइन बनाने में इस्तेमाल की जा सकती है। यह किस्म 110 -120 दिन में पक कर तैयार हो जाती है और घने गुच्छेदार होती है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब और पश्चिम बंगाल की जलवायु इसकी खेती के लिए अनुकूल है।
अंगूर का इस्तेमाल
भारत में में अंगूर के कुल उत्पादन का 78 प्रतिशत सीधे खाने में इस्तेमाल हो जाता है जबकि 17-20 प्रतिशत का किशमिश बनाने में, डेढ़ प्रतिशत का शराब बनाने में तथा 0.5 प्रतिशत का इस्तेमाल जूस बनाने में होता है। देश में अंगूर की 81.22 प्रतिशत खेती अकेले महाराष्ट्र में होती है।
एक एकड़ में 15-20 टन अंगूर
मार्च 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक अंगूर की किस्म एआरआई-516 अपने लाजवाब जायके के लिए बहुत पसंद की जाती है। उत्पादन लागत कम होने और ज्यादा पैदावार होने के कारण किसान इसकी खेती को लेकर बेहद उत्साहित हैं। कृषि जागरण डॉटकॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक एकड़ में 15-20 टन एआरआई 516 किस्म के अंगूर का उत्पादन किया जा सकता है।
लगभग 100 एकड़ में एआरआई-516 अंगूर की खेती
इस अंगूर के दानों (berry) में 67-70 फीसदी तक जूस होता है। किसानों के बीच इस किस्म के अंगूर की खेती को लेकर एक्साइटमेंट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एआरआई-516 किस्म की अंगूर का रकबा लगातार बढ़ रहा है। अनुमान के मुताबिक 100 एकड़ से अधिक जमीन पर किसान एआरआई-516 अंगूर की खेती कर रहे हैं।
एआरआई -516 अंगूर रोगों से सुरक्षित
अंगूर की संकर (हाईब्रिड या क्रॉस ब्रिड) प्रजाति एआरआई -516 दो विभिन्न किस्मों- अमरीकी मूल के काटावाबा (Catawba variety of Vitis labrusca) और विटिस विनिफेरा (Vitis vinifera) को मिलाकर विकसित की गई है। एआरआई -516 अंगूर बीज रहित होने के साथ ही फंफूद के रोग से सुरक्षित है।
इसलिए पॉपुलर है एआरआई -516 अंगूर
इंडियन एक्सप्रेस डॉटकॉम की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ सुजाता तेताली (Dr Sujata Tetali) ने बताया कि अंगूर की यह संकर किस्म फफूंदों (Fungal disease) से प्रभावित नहीं होती। उन्होंने कहा कि रोग प्रतिरोधी होने और यूनिक टेस्ट के कारण महाराष्ट्र के सोलापुर और नासिक के किसानों के बीच एआरआई -516 अंगूर पॉपुलर हो रहा है। डॉ सुजाता ARI पुणे में जेनेटिक और प्लांट ब्रीडिंग सेक्शन में बतौय वैज्ञानिक कार्यरत हैं।
विदेश में अंगूर की डिमांड
कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री के मुताबिक 2020-21 में 59 देशों में 2302.08 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के भारतीय अंगूर एक्सपोर्ट किए गए। 2021-22 में भारत का अंगूर निर्यात बढ़कर 2302.16 करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा अंगूर से बनने वाला एक और प्रमुख उत्पाद सूखे अंगूर (RAISINS) यानी किशमिश का निर्यात भी 117 देशों में किया जाता है। किशमिश एक्सपोर्ट 2020-21 में 216.07 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का हुआ, जबकि 2021-22 में 181.36 करोड़ रुपये की किशमिश निर्यात की गई।
नासिक इंडिया का वाइन कैपिटल
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के टूरिज्म डिपार्टमेंट की ओर से मार्च में आयोजित नासिक अंगूर महोत्सव (Nashik Grape Festival) में 50 से अधिक किसानों ने अंगूर की अलग-अलग किस्मों का प्रदर्शन किया था। वाइन के कारोबार से जुड़ी 12 हस्तियों ने इस फेस्टिवल में अपने स्टॉल लगाए। टूरिज्म डिपार्टमेंट की डिप्टी डायरेक्टर मधुमति सरदेसाई के मुताबिक बड़े पैमाने पर अंगूर उत्पादन और वाइन की इंडस्ट्री नासिक में है। इसलिए नासिक को इंडिया का वाइन कैपिटल भी कहा जाता है।
अंगूर की खेती से जुड़ी जरूरी बातें
हॉर्टिकल्चर की प्रमुख फसल अंगूर लता वाली फसल है। यानी इसकी बुआई कलम काट कर होती है। आमतौर से भारत में अंगूर की उपज जनवरी में शुरू होती है। फरवरी से अप्रैल के बीच अंगूर की फसल भरपूर मात्रा में होती है। अंगूर की कुछ किस्मों की कटिंग जून-जुलाई से सितंबर के बीच दो बार भी की जाती है। अंगूर की खेती में नियमित अंतराल पर सिंचाई की जरूरत पड़ती है। मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहे इसके लिए 7-8 दिनों में सिंचाई करनी चाहिए। मौसम को देखते हुए सिंचाई की जरूरत बदल सकती है। अंगूर की खेती में ड्रिप इरीगेशन (बूंद-बूंद सिंचाई) काफी कारगर है।