'काबिल बनो, कामयाबी झक मारकर पीछे...' इंजीनियर बेटे ने बंजर जमीन को वरदान बनाया, लाखों में कमाई
ड्रैगन फ्रूट की खेती से लाखों की कमाई हो सकती है। संभावनाएं पहचानने के बाद एक युवक ने लाखों की नौकरी छोड़ बंजर जमीन पर खेती का फैसला लिया। अब लाखों की कमाई के अलावा अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। dragon fruit farming
शाहजहांपुर, 10 सितंबर : उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में इंजीनियरिंग ग्रैजुएट ने लाखों रुपये के ऑफर वाली नौकरी छोड़ दी। अल्लाहगंज थाना क्षेत्र के चिलहुआ गांव में रहने वाले अतुल मिश्रा ने कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की। उन्होंने कहा, पढ़ाई पूरी करने के बाद मोटे वेतन वाली नौकरी छोड़ने का फैसला आसान तो नहीं था, लेकिन अपने साथी ग्रामीणों के लिए कुछ करने की चाह और जज्बे के कारण उन्होंने खेती से जुड़ने का फैसला लिया।
बंजर भूमि पर पौधों की रोपाई
अतुल बताते हैं कि इंटरनेट पर सर्फिंग के बाद, उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का फैसला लिया। 2018 में महाराष्ट्र के शोलापुर से ड्रैगन फ्रूट के कुछ पौधे लाए। इन्हें पिथाया भी कहा जाता है। बंजर भूमि पर पौधों की रोपाई के बाद मिली सफलता से उत्साहित अतुल अब पांच एकड़ जमीन पर फलों की खेती कर रहे हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती
खेती में संभावनाओं की पहचान करने के बारे में अतुल ने कहा, "हमारे परिवार की सात एकड़ भूमि बंजर है। उसमें भी अगले सीजन में ड्रैगन फ्रूट उगाएंगे।" उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर ड्रैगन फ्रूट की खेती अकेले नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि मदद के लिए तीन पुरुषों और एक महिला को नियुक्त किया है।
फलों की खेती का फैसला
फलों की खेती ही क्यों ? इस पर अतुल बताते हैं कि परिवार की दूसरी जमीन पर गेहूं की फसल उगाई जा रही थी। इनपुट लागत से भी कम रिटर्न मिल रहा था। लागत अधिक देखने के बाद उन्होंने फलों की खेती का फैसला लिया। पौधों को फंगस से बचाने के लिए गोमूत्र और दवा का छिड़काव किया जाता है।
कई राज्यों के किसान
फलों के खरीदार कहां है ? किस राज्य में अपने उत्पाद बेचते हैं ? इन सवालों पर अतुल ने बताया, फलों के अलावा वे किसानों को ड्रैगन फ्रूट के पौधे भी बेचते हैं। उनके पास बिहार, मध्य प्रदेश और हरियाणा समेत कई राज्यों से किसान आते हैं। अतुल पौधा खरीदने आने वाले लोगों को सफलतापूर्वक ड्रैगन फ्रूट उगाने के टिप्स भी देते हैं।
रोपाई के एक साल बाद फल
ड्रैगन फ्रूट उष्णकटिबंधीय फल है। मूल रूप से ये मेक्सिको और मध्य अमेरिका में उगाया जाता है। वियतनाम, थाईलैंड, फिलीपींस और इंडोनेशिया में भी ड्रैगन फ्रूट की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। इस फल का स्वाद कीवी और नाशपाती के मिश्रण जैसा होता है। भारत में ड्रैगन फ्रूट महाराष्ट्र के कई इलाकों में उगाया जाता है। रोपण के एक साल बाद फल आने शुरू हो जाते हैं।
छह महीने फलता है, मार्केट में अच्छा मुनाफा
फसल तैयार होने और फलों की तोड़ाई पर अतुल मिश्रा ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कहा, मई से उनके पेड़ों में फल आने शुरू हो जाते हैं। दिसंबर तक फल मिलते रहते हैं। दिल्ली की आजादपुर मंडी में अच्छा मुनाफा मिलता है इसलिए अधिकांश फसल इसी मंडी में बेचते हैं।
CM योगी से मिलने की ख्वाहिश
शाहजहांपुर में ड्रैगनफ्रूट की खेती कर रहे अतुल बताते हैं कि उनका क्षेत्र कृषि पर्यटन के रूप में विकसित हो सकता है। इलाके में अपार संभावनाएं हैं। एग्रीकल्चर टूरिज्म के संबंध में वह प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलना भी चाहता है।
दूसरे किसान भी शुरू करेंगे ड्रैगन फ्रूट की खेती
अतुल मिश्रा एक किसान के साथ-साथ बिजनेस आइडिया को लेकर भी लोकप्रिय हैं। जिले के किसान उनकी तारीफ करते नहीं थकते। अतुल से प्रेरित रामपुर दौलतपुर के किसान कुलदीप सिंह ने कहा, वह भी नकदी से भरपूर ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू करेंगे। हालांकि, कुलदीप के साथ-साथ कुछ अन्य किसानों की चिंता है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में पैसे अधिक लगते हैं। ऐसे में राज्य सरकार से मिलने वाली सहायता नाकाफी है।
ड्रैगन फ्रूट के कई स्वास्थ्य लाभ भी
किसानों को नकदी की जरूरत पर मुख्य विकास अधिकारी श्याम बहादुर सिंह ने सहायता का वादा किया। उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशासन जल्द ही कार्यशाला आयोजित करेगा। शाहजहांपुर में सरकारी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ राजेश कुमार ने कहा कि ड्रैगन फ्रूट के कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। डॉक्टर ने बताया कि उत्पाद में प्रोटीन और आयरन के अलावा विटामिन सी और मैग्नीशियम होता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यूनिटी को बढ़ाता है।