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Ashwagandha Farming profits : किसानों की आय बढ़ाने में मदद, बीमारियों से भी निजात, जानिए कहां करें खेती

अश्वगंधा की खेती फायदे (ashwagandha farming profit) का सौदा है। हालांकि, इसकी फसल से पहले यह जानना अहम है कि किन राज्यों में अश्वगंधा की खेती हो रही है। यह भी जानिए कि किन बीमारियों के इलाज में अश्वगंधा से मदद मिलती है।

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नई दिल्ली, 15 मई : अश्वगंधा की खेती किसानों को मुनाफा देने के अलावा औषधि के रूप में अश्वगंधा का सेवन इंसान को कई तरह के रोगों से भी मुक्त करती है। ऐसे समय में जब कीटनाशक, फर्टिलाजर, महंगी बिजली और सिंचाई के लिए पानी की कमी खेती की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनती दिख रही है, अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए कई परेशानियों का समाधान है। अश्वगंधा की रोपाई आमतौर पर खरीफ सीजन में होती है, लेकिन रबी फसल के रूप में अश्वगंधा से अच्छी उपज हासिल कर मोटी कमाई की जा सकती है। जानिए, किन बीमारियों के इलाज में कारगर है अश्वगंधा। यह भी जानिए कि अश्वगंधा की खेती भारत के किन राज्यों में की जा सकती है।

किन राज्यों में होती है अश्वगंधा की खेती

किन राज्यों में होती है अश्वगंधा की खेती

भारत में अश्वगंधा की खेती कई राज्यों में हो रही है। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल और जम्मू कश्मीर में होती है। वर्षा आधारित इलाकों में खेती होने के कारण इसमें सिंचाई के लिए अधिक पानी की जरूरत नहीं होती। 60-70 दिनों के बाद पौधा तेजी से बढ़ता है। फसल तैयार होने के बाद 150-180 दिनों के बाद अश्वगंधा की कटाई की जा सकती है। एक हेक्टेयर में 6-8 क्विंटल सूखी जड़ हासिल की जा सकती है। बीज की मात्रा लगभग 50 किलो मिलती है।

अश्वगंधा की खेती में कम से कम खाद की जरूरत

अश्वगंधा की खेती में कम से कम खाद की जरूरत

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक अश्वगंधा में ज्यादा फर्टिलाइजर की जरूरत नहीं होती, लेकिन बेहतर उपज हासिल करने के लिए अश्वगंधा की खेती के दौरान 10-15 टन गोबर की खाद का इस्तेमाल किया जा सकता है। उर्वरक के रूप में 15 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फास्फोरस के इस्तेमाल का सुझाव दिया जाता है।

अश्वगंधा पर कीटों का अटैक कम

अश्वगंधा पर कीटों का अटैक कम

गुजरात के आणंद स्थित औषधीय एवं सगंधीय पादप अनुसंधान निदेशालय (DMAPR) में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ पी मनिवेल के मुताबिक अश्वगंधा की खेती के दौरान पौधों में बीमारी की संभावना भी कम होती है। कीटों का अटैक कम देखा गया है। शुरुआती दिनों में अल्टरनेरिया ब्लाईट नाम की बीमारी देखी गई है, जो पौधा बढ़ने के साथ-साथ खत्म हो जाती है। रोपाई समय से पहले करने के कारण सड़ने की आशंका होती है। इससे बचने के लिए अगस्त महीने के अंत में बुआई का सुझाव दिया जाता है।

रबी सीजन में अश्वगंधा की खेती

रबी सीजन में अश्वगंधा की खेती

अश्वगंधा की खेती आम तौर पर खरीफ फसल के रूप में की जाती है। अगर किसान भाई बीज के स्थान पर पौधा लगा रहे हों तो नर्सरी में पौधा जब 6 सप्ताह का होने पर ही खेत में रोपना चाहिए। अश्वगंधा की फसल के दौरान खेत से खरपतवार निकालने का सुझाव भी दिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अश्वगंधा जड़ वाली फसल है। निराई-गुडाई करते रहने से जड़ों को हवा मिलती रहती है। उपज बेहतर मिलती है। रबी सीजन में अश्वगंधा की खेती करने पर पौधों को 4 से 5 बार सींचना चाहिए। पहली सिंचाई पौधा लगाने के 8 से 10 दिन बाद की जाती है। अश्वगंधा की सिंचाई के लिए टपक सिंचाई यानी ड्रीप इरिगेशन विधि सबसे बेहतर है।

AYUSH में निवेश, अश्वगंधा की खेती से फायदा

AYUSH में निवेश, अश्वगंधा की खेती से फायदा

आयुर्वेद और यूनानी में अश्वगंधा का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। अश्वगंधा के सेवन से हार्ट, प्रजनन और जोड़ों के दर्द जैसी कई बीमारियों से बचा जा सकता है। गत अप्रैल में केंद्रीय आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया था कि आयुष क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया था कि आयुष उत्पादों का मार्केट साइज 18 बिलियन डॉलर से अधिक का हो चुका है। कोलंबिया, मैक्सिको, क्यूबा, ​​जर्मनी, जमैका, किर्गिस्तान और थाईलैंड जैसे देश आयुष सेक्टर में सहयोग के लिए तैयार हैं। आयुष के क्षेत्र में 6000 करोड़ रुपये निवेश की संभावना है। ऐसे में सरकारी आंकड़ों और दावों के आधार कहना गलत नहीं होगा कि किसानों के लिए अश्वगंधा की खेती फायदे का सौदा है। बता दें कि AYUSH मंत्रालय में (Ayurveda, Yoga, Naturopathy, Unani, Siddha, Sowa-Rigpa and Homoeopathy) शामिल हैं।

किन बीमारियों का इलाज है अश्वगंधा

किन बीमारियों का इलाज है अश्वगंधा

अश्वगंधा का सेवन सर्दियों के मौसम में बेहतर माना जाता है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए कई आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अश्वगंधा के इस्तेमाल की सलाह दी। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और इंसान कई बीमारियों से बच सकता है। अश्वगंधा कॉलेस्ट्रॉल नियंत्रित करता है। मांसपेशियों को मजबूत बनाने के साथ-साथ अश्वगंधा शारीरिक ताकत भी बढ़ाता है। अश्वगंधा के सेवन से सूजन और दर्द कम करने में भी मदद मिलती है। कैंसर सेल्स बढ़ने पर नियंत्रण, प्रजनन से जुड़ी परेशानी में फायदेमंद। याददाश्त ठीक रहती है। जोड़ों और आंखों के लिए बेहतर। बॉडी का एनर्जी लेवल मेंटेन रहता है।

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English summary
Know about states doing ashwgandha cultivation. Also know about ashwgandha farming profits and medicinal use of withania somnifera alias asgandh.
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