डेल्टा प्लस वेरिएंट के बाद घातक निपाह वायरस ने बढ़ाई चिंता, कितना खतरनाक और क्या है लक्षण?
नई दिल्ली, 23 जून। ऐसे समय कोरोना वायरस महामारी का डेल्टा प्लस वेरिएंट का खतरा बढ़ता जा रहा है, पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने पहली बार महाराष्ट्र में चमगादड़ों की दो प्रजातियों में खतरनाक निपाह वायरस की एंटीबॉडी पाई हैं। एनआईवी के वैज्ञानिकों के मुताबिक ये चमगादड़ महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में पाए गए हैं।
क्या है निपाह वायरस?
निपाह वायरस घातक वायरसों की सूची में शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सूची में यह शीर्ष के 10 रोगजनकों में शामिल है। इस खतरनाक वायरस की पहली बार पहचान 1998-99 में मलेशिया में सूअरों और सूअर संचालकों के बीच एक एंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी के दौरान पहचाना गया था। इस वायरस ने अब तक बांग्लादेश, मलेशिया, भारत और सिंगापुर जैसे देशों में अपना प्रकोप दिखाया है।
महाराष्ट्र में चमगादड़ों में इस वायरस के पाए जाने पर एनआईवी के ताजा अध्ययन में प्रमुख खोजकर्ता डॉक्टर प्रागता यादव ने कहा कि अभी तक महाराष्ट्र में चमगादड़ों की कोई भी प्रजाति में इस वायरस के संपर्क में नहीं आई है।
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कितना खतरनाक है निपाह?
निपाह वायरस को घातक वायरस की श्रेणी में रखा गया है। आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंट प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक 1998 से 2018 तक के आंकड़े बताते हैं कि निपाह से संक्रमित लोगों में मृत्यु दर 40-70 प्रतिशत के बीच है। यहां ध्यान देने की बात है कि दुनिया भर में महामारी बनकर उभरे कोरोना वायरस में मृत्यु दर अधिकांशतः 1 से 5 प्रतिशत के बीच रही है।
भारत में अब तक निपाह वायरस का प्रकोप चार बार देखा गया है। पहली बार यह वायरस 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में पाया गया था। दूसरी बार 2007 में भी यह बंगाल में ही मिला था जब नदिया में इसे रिपोर्ट किया गया। तीसरी बार यह केरल के कोझीकोड में पाया गया जब वायरस की चपेट में आकर 18 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद निपाह वायरस की एक और लहर केरल में देखी गई थी।
निपाह वायरस के लक्षण
निपाह वायरस के संपर्क में आने के बाद संक्रमित व्यक्ति के अंदर इसके लक्षण 4 से 14 दिनों के बाद सामने आते हैं। अमेरिकी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ने इस वायरस के बारे में जो लक्षण बताए हैं उनके मुताबिक बुखार, सिरदर्द, खांसी, गले में दर्द होना, सांस लेने में परेशानी और उल्टी आना शामिल हैं। इसके साथ गंभीर रूप से संक्रमण होने पर इसकी वजह से मरीज में उदासी और मन न लगना, भ्रम की स्थिति, दौरे पड़ना और मस्तिष्क में सूजन (एंसेफेलाइटिस) भी हो सकती है।
एनआईवी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निपाह वायरस की एंटीबॉडी इसके पहले असम के ढुबरी जिले और पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में पाई गई थी।
सीडीसी के मुताबिक अभी तक निपाह वायरस के संक्रमण का इलाज नहीं खोजा जा सका है और विशेषज्ञ देखभाल, आराम, हाइड्रेशन को नियंत्रित करना और लक्षणों के इलाज पर ही निर्भर हैं।
महाबलेश्वर की गुफा में रहने वाले चमगादड़ में मिला निपाह वायरस, नहीं है इसका कोई इलाज