दामण से विमुख हो रहीं महिलाएं, पायजामे ने भी ले ली धोती की जगह: दुष्यंत चौटाला
दुष्यंत चौटाला ने मंच पर अपने भाषण में कहा कि कॉलेज में हरियाणवी संस्कृति के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए सांस्कृतिक केंद्र खोला जाए।
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने जाट शिक्षण संस्था में आयोजित वार्षिकोत्सव में हरियाणवी संस्कृति को सहेजने व संवर्धन का रास्ता दिखा दिया। उन्होंने हरियाणवी पहनावे को याद किया और पूछा कि आज कितनी महिलाएं गांवों में दामण पहनती हैं। धीरे-धीरे धोती पहनने वाले लोग भी पायजामे पहनने लगे हैं। उन्होंने संस्था में पांच लाख रुपये देते हुए यहां रागिनी व हरियाणवी पहनावे को बढ़ावा देने के लिए एक सांस्कृतिक केंद्र खोलने की घोषणा की।
दुष्यंत चौटाला ने मंच पर अपने भाषण में कहा कि कॉलेज में हरियाणवी संस्कृति के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए सांस्कृतिक केंद्र खोला जाए। कार्यक्रम के दौरान पंजाब के गिद्दे की प्रस्तुति को देखकर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पंजाब अपनी संस्कृति के विकास पर खूब खर्च करता है। हमने अपनी संस्कृति के लिए क्या योगदान दिया? आज हमारा सांस्कृतिक पहनावा तक गायब हो रहा है। बताओ गांव में कितनी महिलाएं आज दामण पहनती हैं। धीरे-धीरे धोती वाले बुजुर्ग भी पायजामे पर आ गए। वे भी कम हो गए। आज की पीढ़ी को यह भी नहीं पता कि हरियाणवी अंदाज में पगड़ी कैसे बांधी जाती है?
जाट शिक्षण संस्था ऐसा केंद्र खोले, जिसमें रागिनी या इस तरह के सांस्कृतिक विधाओं पर काम किया जाए, ताकि हरियाणा की संस्कृति को बढ़ावा मिल सके। यह संस्था संस्कृति का केंद्र बने। उन्होंने यह भी कहा कि यह संस्था हरियाणवी भौगोलिक स्थिति के हिसाब से बिल्कुल केंद्र में स्थित है। इसीलिए यह हरियाणा की संस्कृति का केंद्र होना चाहिए।
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उन्होंने हरियाणवी कलाकार कर्मबीर फौजी के कार्य की भी सराहना की और कहा कि इसी के नाम यहां सांस्कृतिक केंद्र बना दो। वे हर संभव सहायता करेंगे। उन्होंने संस्था में कोई तकनीकी कोर्स शुरू करने को भी कहा। जिसमें उनकी ओर से मान्यता दिलवाने सहित अन्य हर प्रकार का सहयोग देने की बात भी कही। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि आज विज्ञान का युग है। हर समय बदलते युग में तकनीक ने अपनी जगह बना ली है। इसीलिए नए कोर्स बहुत जरूरी हैं।