क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

उत्तराखंड सरकार ईको सेंसेटिव जोन के नोटिफिकेशन से चाहती है निजात, जानिए क्यों

दून वैली की हरियाली और बायोडायवर्सिटी को बचाने के लिए 34 साल पहले दून वैली ईको सेंसेटिव एरिया की जो अधिसूचना जारी हुई थी, वो अब समाप्त हो सकती है.

Google Oneindia News

देहरादून,29 जून: दून वैली की हरियाली और बायोडायवर्सिटी को बचाने के लिए 34 साल पहले दून वैली ईको सेंसेटिव एरिया की जो अधिसूचना जारी हुई थी, वो अब समाप्त हो सकती है. राज्य सरकार ने इसकी कवायद शुरू कर दी है. सरकार का तर्क है कि यहां विकास की परियोजनाएं एक नोटिफिकेशन के चलते अटक जाती हैं, तो सोशल एक्टिविस्ट इरा चौहान जैसे एक्सपर्ट इस नोटिफिकेशन को खत्म करना दून वैली के लिए खतरनाक बता रहे हैं. चौहान तो सरकार को इसके बजाय केंद्र से ग्रीन सेस, ग्रीन बोनस की मांग करने की बात कहती हैं.

ncp

अपनी आबोहवा के लिए मशहूर दून वैली की ग्रीनरी के लिए कभी चूना पत्थर की खदानें अभिशाप बन गई थीं. मसूरी की हरी भरी पहाड़ियों को चूना पत्थर के लिए खंडहर में तब्दील कर दिया गया था. नतीजा 1989 में भारत सरकार ने दून वैली को ईको सेंसेटिव एरिया के रूप में नोटिफाई करते हुए यहां माइनिंग और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की स्थापना पर रोक लगा दी थी. मसूरी की पहाड़ियों को हरा भरा करने का काम ईको टास्क फोर्स को सौंपा गया. इससे एक हद तक ग्रीनरी तो लौटी, लेकिन राज्य बनने के बाद अवस्थापना विकास के लिए यह अधिसूचना रोड़ा बनने लगी.

इसका नतीजा यह हुआ कि 2020 में एक संशोधन के तहत दून वैली में रेड कैटेगरी के उद्योगों को छोड़ कम प्रदूषणकारी उद्योगों को मंजूरी दे दी गई. सरकार का तर्क है कि मौजूदा समय में एमडीडीए, पीसीबी, सिया समेत कई रेगुलेटरी अथॉरिटी यही काम कर रही हैं. वन व पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु का कहना है कि ऐसे में दून वैली के इस नोटिफिकेशन का कोई खास मतलब नहीं है. 'हमने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि या तो इसमें कुछ संशोधन किया जाए या इस नोटिफिकेशन को ही समाप्त कर दिया जाए.'

क्या है सरकार का तर्क?
दरअसल, दून वैली में होटल, हॉस्पिटल, कमर्शियल एयरपोर्ट जैसे रेड कैटेगरी में शामिल बड़े प्रोजेक्ट की राह में ये नोटिफिकेशन रोड़ा बना हुआ है. पर्यटन, माइनिंग से जुड़े बड़े प्रोजेक्ट के लिए भी केंद्र की अनुमति लेने में सालों-साल का समय ज़ाया हो जाता है. सौ से अधिक कमरों का होटल भी रेड कैटेगरी में शुमार है. लिहाज़ा यहां इससे बड़े होटल को अनुमति नहीं मिल सकती. सरकार चाहती है कि अवस्थापना विकास के लिए ज़रूरी है कि इस तरह के प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया जाए.

तो क्या फिर नहीं बढ़ जाएगा प्रदूषण?
दून वैली नोटिफिकेशन को समाप्त करने के अपने खतरे भी हैं. इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता का कहना है कि नोटिफिकेशन समाप्त करने के बजाय इसमें संशोधन की मांग की जानी चाहिए. नोटिफिकेशन समाप्त होने से दून वैली में एक बार फिर प्रदूषणकारी उद्योग और व्यावसायिक एक्टिविटीज़ की बाढ़ आ जाएगी, जो दून की आबोहवा के लिए खतरा बन जाएंगे.

Comments
English summary
Uttarakhand government wants to get rid of the notification of eco-sensitive zone, know why
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X