सिसोदिया ने तदर्थ शिक्षकों के मुद्दे पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को लिखा पत्र, जताई चिंता
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह को एक पत्र लिखकर इन खबरों पर चिंता जतायी है कि संस्थान के 70 प्रतिशत तदर्थ शिक्षकों को 'विस्थापित' किया जा रहा है।
सिसोदिया ने कहा कि इन शिक्षकों को स्थायी कर्मचारियों के रूप में समाहित किया जाना चाहिए क्योंकि वे दशकों से डीयू के साथ काम कर रहे हैं और उनके पास विविध पृष्ठभूमि के छात्रों को पढ़ाने का जरूरी अनुभव है।
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने अपने पत्र में कहा, ''डीयू के विभिन्न कॉलेजों में सहायक प्राध्यापक के लिए चल रहे साक्षात्कार ठीक नहीं है, खबरों में कहा गया है कि 70 प्रतिशत तदर्थ शिक्षकों को विस्थापित किया जा रहा है। हमारा मानना है कि तदर्थ शिक्षकों को स्थायी भर्ती में समायोजित किया जाना चाहिए।''
उन्होंने कहा, ''इनमें से कई शिक्षक दशकों से दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थान की चुनौतियों को समझते हैं, जैसे कि विविध भाषाई पृष्ठभूमि और शैक्षणिक अनुभवों के साथ देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले छात्रों को कैसे संभाला जाए। कक्षा में शिक्षण के अनुभव को प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है।''
सिसोदिया ने कुलपति से दिल्ली सरकार के कॉलेजों में तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों को समायोजन को सुविधाजनक बनाने का अनुरोध किया और आश्वासन दिया कि कॉलेज बोर्ड में सरकार द्वारा नामित लोग पूर्ण सहयोग देंगे। सिसोदिया दिल्ली के शिक्षा मंत्री भी हैं।
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दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज और विभागों में 4,500 से अधिक शिक्षक तदर्थ आधार पर काम करते हैं।