Jharkhand की पंचायतों में बिना फार्मासिस्ट के खुलेंगी दवा दुकानें, युवाओं को ट्रेनिंग और आर्थिक मदद देगी सरकार
झारखंड के ग्रामीण इलाकों में बिना फार्मासिस्ट के भी दवा की दुकानें खुलेंगी। इन दुकानों में ऐसी दवाएं बेची जा सकती हैं, जिनके लिए फार्मासिस्ट का होना जरूरी नहीं है।
रांची। झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में अब बिना फार्मासिस्ट की भी दवा दुकानें खुलेंगी। इन दुकानों में वैसी दवाओं की बिक्री हो सकेगी, जिनके लिए फार्मासिस्ट का होना जरूरी नहीं है। सरकार ने राज्य की सभी पंचायतों में ऐसी एक-एक दवा दुकान स्थानीय युवाओं के माध्यम से खोलने का निर्णय लिया है।
लाभुक और स्थल चयन की जिम्मेदारी मुखिया और पंचायत सचिव की होगी, जिसपर प्रखंड विकास पदाधिकारी अनुमोदन प्रदान करेंगे। प्राप्त आवेदनों की अंतिम रूप से समीक्षा के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी और औषधि निरीक्षक संयुक्त अनुशंसा के साथ आवेदन उस क्षेत्र के अनुज्ञापन प्राधिकारी को स्वीकृति के लिए भेजेंगे।
युवाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण
दवा दुकानों के लिए लाइसेंस प्राप्त करनेवाले युवाओं को औषधि निरीक्षकों एवं चिकित्सकों की ओर से प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री रोजगार गारंटी कार्यक्रम के अंतर्गत इच्छुक लाइसेंसधारियों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारी बैंक से ऋण दिलवाने में भी सहायता प्रदान करेंगे।
इंटरमीडिएट योग्यता अनिवार्य
दवा दुकान के लिए आवेदक की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट या उसके समकक्ष अनिवार्य की गई है। इसमें उच्च योग्यता वाले युवा को वरीयता दी जाएगी। साथ ही संबंधित गांव के स्थानीय निवासी और स्वयं के स्वामित्व वाली दुकान के आवेदक को भी प्राथमिकता दी जाएगी। लाइसेंस प्राप्त करनेवाले युवाओं को हेल्पलाइन नंबर 104 के साथ समन्वय स्थापित करते हुए टेलीमेडिसिन और टेलीकंसल्टेशन की भी सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।
झारखंड
फार्मासिस्ट
एसोसिएशन,
झारखंड
के
महासचिव
उपेंद्र
कुमार
सिंह
ने
कहा
कि
ओवर
द
काउंटर
(ओटीसी)
श्रेणी
में
आनेवाली
दवा
टूथपेस्ट,
कास्मेटिक
समेत
कई
अन्य
दवाओं
की
बिक्री
के
लिए
फार्मासिस्ट
की
अनिवार्यता
औषधि
और
अंगराग
नियमावली
में
खत्म
की
गई
है।
उन्होंने
कहा
कि
पंचायतों
में
दवा
दुकान
खोलने
की
योजना
अच्छी
है,
लेकिन
बिना
फार्मासिस्ट
दवा
बेचने
की
छूट
का
दुरुपयोग
भी
हो
सकता
है।
इन
दवाओं
के
साथ
दवा
दुकानदार
अन्य
दवा
की
बिक्री
करने
लगें
तो
उन्हें
रोकना
होगा।
राज्य
में
हजारों
फार्मासिस्ट
बेरोजगार
हैं।
अच्छा
होता
इन्हें
ही
लाइसेंस
देकर
पंचायतों
में
दवा
दुकान
खोलने
के
लिए
प्रोत्साहित
किया
जाता।
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