झारखंड: किसानों को सूखे से राहत दिलाने के लिए सरकार जाएगी गांव-गांव, किसान को सरकार देगी 35 सौ रुपये
रांची,27 नवंबर- झारखंड में आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार योजना के तहत किसानों को सूखे से राहत दिलाने में लिए सरकार गांव-गांव जाएगी. झारखंड में राज्य सरकार सूखे के हालत को देखते हुए ,सूबे के लगभग 226 प्रखंडों को सूखाग्
रांची,27 नवंबर- झारखंड में आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार योजना के तहत किसानों को सूखे से राहत दिलाने में लिए सरकार गांव-गांव जाएगी. झारखंड में राज्य सरकार सूखे के हालत को देखते हुए ,सूबे के लगभग 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया है. सुखाड़ से निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार , राहत के तौर पर राज्य के लगभग 31 लाख किसानों को 3500 रुपये प्रति किसान को सुखा राहत देने का निर्णय लिया है. सरकार पंचायत कैंप लगा कर किसानों को राहत पहुंचाने का काम करेगी.
किसानों
की
हित
में
काम
कर
रही
राज्य
सरकार
बता
दें
कि
जे
एम
एम
महासचिव
विनोद
पांडेय
ने
कहा
कि
हमारी
सरकार
में
राज्य
के
हर
वर्ग
की
जरूरत
को
पूरा
करने
का
प्रयास
किया
जा
रहा
है.
सरकार
आपके
द्वार
कार्यक्रम
के
बाद
अब
राज्य
सरकार
किसानों
के
लिए
काम
कर
रही
है.
राज्य
के
सूखाग्रस्त
प्रखड़ों
के
किसानों
के
लिए,
किसानों
को
क्षति
पूर्ति
राहत
देने
का
निर्णय
लिया
है
और
जल्दी
ही
किसना
के
खाते
में
पंचायत
और
गांव-गांव
जा
कर
आकलन
कर
किसान
को
लाभ
दिया
जाएगा.
ताकि
किसान
को
हुई
क्षति
की
भरपाई
राज्य
सरकार
कर
सके
और
किसान
के
चेहरे
पर
मुस्कान
को
ला
सके.
बीजेपी
सांसद
बोले-
राज्य
के
लोगों
को
मिला
सिर्फ
कोरा
आश्वासन
वहीं
बीजेपी
सांसद
आदित्य
साहू
ने
पलटवार
करते
हुए
कहा
कि
सीएम
बोलते
कुछ
हैं
और
करते
कुछ
हैं,
इनके
कथनी
और
करनी
में
अंतर
बहुत
है.
जो
बोलते
हैं
कर
के
दिखाते
हो
शायद
झारखंड
राज्य
का
भला
और
कल्याण
होता.
ये
लोग
सिर्फ
बड़े-बड़े
बात
और
बयानों
में
सिमटे
रहते
हैं.
वास्तविक
स्थिति
ये
है
कि
किसान
आज
बहुत
दुखी
है,
किसान
की
बात
करते
हैं
और
किसान
को
आज
सिंचाई
के
लिए
खेत
में
बिजली
नहीं
मिल
रही.
किसान
को
दें
राशि
वो
दिखना
चाहिए,
आज
सभी
वर्ग
ठगा
हुआ
महसूस
कर
रहा
है.
जब
से
ये
सरकार
बनी
है
तब
से
सिर्फ
कोरा
आश्वासन
मिल
रहा
है.
पिछली
बीजेपी
की
सरकार
में
किसान
को
पांच
हजार
रुपए
प्रति
एकड़
के
हिसाब
से
पांच
एकड़
तक
के
किसान
को
25
हजार
दिया
जाता
था
और
सत्ता
में
आते
ही
इस
योजना
को
बंद
कर
किसान
के
हक
को
छीनने
का
काम
किया.