झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंगलवार को महीनों बाद एक मंच पर दिखे
रांची,22 नवंबर- झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंगलवार को महीनों बाद एक मंच पर दिखे। मुख्यमंत्री की विधानसभा की सदस्यता को लेकर पिछले 25 अगस्त को चुनाव आयोग के मंतव्य के बाद राज्य में सत्ता की दो
रांची,22 नवंबर- झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंगलवार को महीनों बाद एक मंच पर दिखे। मुख्यमंत्री की विधानसभा की सदस्यता को लेकर पिछले 25 अगस्त को चुनाव आयोग के मंतव्य के बाद राज्य में सत्ता की दो अहम धुरी के बीच खींचतान चल रही है। मंगलवार को यह संवादहीनता टूटती नजर आई।
झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस समारोह के दौरान राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने उदघाटन समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान दोनों के बीच मंच पर बातचीत नहीं हुई, अलबत्ता इशारों में ही अभिवादन का आदान-प्रदान हुआ।
राज्यपाल ने स्थापना दिवस समारोह में उत्कृष्ट विधायक सम्मान से सम्मानित बगोदर के भाकपा माले विधायक विनोद कुमार सिंह की प्रशंसा के पुल बांधे और उन्हें आदर्श जनप्रतिनिधि बताया। राज्यपाल ने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधियों से आम जनता की आकांक्षा जुड़ी रहती है। इसपर उन्हें खरा उतरना चाहिए। राज्यपाल ने अपने संबोधन में जनप्रतिनिधि के उत्तरदायित्व से जुड़ी बातों की तरफ इंगित किया, वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इसी विषय पर अपना भाषण केंद्रित किया।
झारखंड
अटल
बिहारी
वाजपेयी
की
देन
:
रमेश
बैस
राज्यपाल
रमेश
बैस
ने
कहा
कि
बिहार
राज्य
के
पुनर्गठन
से
झारखंड
देश
का
28वां
राज्य
बना।
झारखंड
अटल
बिहारी
वाजपेयी
के
प्रति
कृतज्ञ
है।
उन्होंने
झारखंड
को
अलग
राज्य
बनाने
का
निर्णय
किया।
यह
आत्म-अवलोकन
का
विषय
है
कि
हमने
कहां
तक
जन-आकांक्षाओं
को
पूरा
किया।
किन
क्षेत्रों
में
ध्यान
देने
की
आवश्यकता
है,
इसे
देखा
जाए।
लोकतांत्रिक
संस्थाओं
को
मर्यादा
अक्षुण्ण
रखना
चाहिए।
जनप्रतिनिधियों
का
आचरण
गरिमापूर्ण
होना
चाहिए
जनप्रतिनिधि
का
आचरण
गरिमापूर्ण
होना
चाहिए।
विधानसभा
की
बैठकों
का
काम
होना
और
कार्यवाही
में
अवरोध
पैदा
होना
चिंता
का
विषय
है।
जनता
के
भरोसा
पर
उतरना
और
संवेदनशीलता
से
काम
करना
जनप्रतिनिधि
के
लिए
आवश्यक
है।
जनता
अपने
जनप्रतिनिधि
का
बहुत
आशा
के
साथ
चयन
करती
है।
जनप्रतिनिधि
होना
सम्मान
की
बात
:
राज्यपाल
जनप्रतिनिधि
विकास
के
लिए
उत्तरदायी
हैं।
जनप्रतिनिधि
होना
सम्मान
की
बात
है।
विधायकों
का
दायित्व
है
कि
वे
सजग
रहें।
वे
जनता
की
आवाज
बने
और
सरकार
से
उनकी
समस्याओं
का
समाधान
कराएं।
विधायक
लोगों
की
आकांक्षा
की
पूर्ति
करें।
कानून
बनाते
समय
व्यापक
चर्चा
और
विचार
करना
आवश्यक
है।
जनहित
के
विषयों
को
गरिमा
के
साथ
उठाना
चाहिए।
जनता
अपने
जनप्रतिनिधि
के
काम
का
आकलन
करती
है।
सदन
में
जनहित
के
मुद्दे
पर
चर्चा
करें।
सरकार
को
उसके
समाधान
के
लिए
कहें।
यह
अच्छी
बात
है
कि
सरकार
के
कामकाज
पर
विभिन्न
समितियां
निगरानी
रखती
हैं
और
प्रतिवेदन
भी
देती
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
लंबे
समय
तक
जनप्रतिनिधि
होने
के
नाते
उनका
द्वार
हमेशा
खुला
रहता
था।
आज
भी
वैसी
ही
जीवनशैली
है।
शिबू
सोरेन
के
संघर्ष
से
मिला
झारखंड
:
हेमंत
सोरेन
मुख्यमंत्री
हेमंत
सोरेन
ने
कहा
कि
अगल
झारखंड
प्रांत
शिबू
सोरेन
के
संघर्ष
का
परिणाम
है।
अविभाजित
बिहार
में
ऐसी
समस्याएं
पैदा
हुई
कि
झारखंड
अलग
राज्य
बना।
यहां
के
आदिवासी,
दलित,
पिछड़े
और
अल्पसंख्यक
लंबे
समय
तक
शोषण
का
शिकार
हुए।
झारखंड
में
शोषण
के
विरुद्ध
अंग्रेजों
से
वीरों
ने
लोहा
लिया।
आजादी
के
बाद
भी
लडाईयां
लड़ी।
विधानसभा
में
सभी
सदस्यों
की
बराबर
भूमिका
है।
पक्ष
और
विपक्ष
दोनों
की
भूमिका
राज्य
के
विकास
के
लिए
जरूरी
है।
20
साल
में
क्या
हुआ,
यह
चर्चा
नहीं
करेंगे
लेकिन
और
भी
काम
करने
की
आवश्यकता
है।