हेमंत सोरेन का बड़ा सवाल- चुनाव आयोग को लिखी गई चिट्ठी बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के पास कैसे पहुंच गई
रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में पक्ष रखने के लिए भारत निर्वाचन आयोग को दो अलग-अलग पत्र लिखा। बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दूबे का दावा है कि चुनाव आयोग को लिखे गये इन दोनों प
रांची,6 सितंबर: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में पक्ष रखने के लिए भारत निर्वाचन आयोग को दो अलग-अलग पत्र लिखा। बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दूबे का दावा है कि चुनाव आयोग को लिखे गये इन दोनों पत्रों में सीएम हेमंत सोरेन के हस्ताक्षर में जमीन-आसमान का अंतर है। लेकिपून अब इसी चिट्ठी को हेमंत सोरेन ने अपने बचाव के लिए ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया है। JMM ने इस मामले में बड़ा सवाल उठाया है और पूछा है कि आखिर चुनाव आयोग को लिखी गई चिट्ठी बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के पास कैसे पहुंच गई।
लोकतंत्र
की
नींव
को
खोखला
करने
की
गहरी
साजिश
गोड्डा
के
बीजेपी
सांसद
के
इस
ट्वीट
के
बाद
झारखंड
मुक्ति
मोर्चा
की
ओर
से
भी
पलटवार
करते
हुए
कहा
गया
कि
संवैधानिक
संस्थाओं
का
बिकना
महज
एक
संयोग
नहीं,
लोकतंत्र
की
नींव
को
खोखला
करने
की
गहरी
साजिश
है।
चुनाव
आयोग
को
भेजा
गया
पत्र
सांसद
निशिकांत
दूबे
के
हाथों
पहुंचना
संयोग
नहीं
हो
सकता।
जब
यह
पत्र
सांसद
के
पास
है,
तो
चुनाव
आयोग
का
राज्य
के
सीएम
पर
दिया
गया
तथाकथित
मंतव्य
भी
इनके
पास
होगा?
देश
और
झारखंड
की
जनता
का
इससे
बड़ा
अपमान
और
क्या
हो
सकता
है?
रही
बात
हेमंत
सोरेन
के
हस्ताक्षर
की,
तो
उनके
द्वारा
पुष्टि
की
जा
सकती
है।
जेएमएम
ने
इस
संबंध
में
राष्ट्रपति
भवन
से
भी
संज्ञान
लेने
का
आग्रह
किया
है।
सांसद
संशय
मिटाने
का
भी
कार्य
करें
जेएमएम
की
ओर
से
ट्वीट
कर
सह
भी
कहा
गया-
'बीजेपी
से
सर्वज्ञानी,
सर्वशक्तिमान,
सर्वविद्यामान
सांसद
आदरणीय
निशिकांत
दूबे
जी
आपके
पस
सभी
संवैधानिक
संस्थाओं
की
चाबी
रहती
है।
लोकतांत्रिक
नैया
के
खेवनहार
हैं
आप।
झारखंड
के
युवा
और
कुशल
मुख्यमंत्री
पर
चुनाव
आयोग
द्वारा
भेजा
पत्र
आपके
पास
अवश्य
होगा।
जो
कार्य
राजभवन
से
नहीं
हो
पा
रहा
है,
उस
कार्य
को
कृप्या
दूर
करने
का
आप
कष्ट
करें।
कृप्या
झारखंड
की
सवा
तीन
करोड़
जनता
के
भविष्य
का
संशय
मिटाने
का
परम
कार्य
करें?'