वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने केंद्र सरकार से की मांग, बोले- अगले पांच साल तक दी जाए जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने केंद्र सरकार से की मांग, बोले- अगले पांच साल तक दी जाए जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि
Jharkhand News केंद्रीय बजट पेश किए जाने के पूर्व राज्यों के वित्त मंत्री और सचिवों की बैठक में शुक्रवार को झारखंड के वित्त मंत्री डा. रामेश्वर उरांव ने अगले पांच वर्षों तक जीएसटी क्षतिपूर्ति को जारी रखने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद होने से राज्य को हर वर्ष लगभग 4500 करोड़ रुपये का नुकसान होने की उम्मीद है। उन्होंने इसी आधार पर क्षतिपूर्ति अवधि को बढ़ाने की मांग की है। उरांव ने एक बार फिर केंद्रीय कोयला कंपनियों पर राज्य सरकार के बकाए की राशि का हवाला देते हुए इसके भुगतान की मांग की गई है।
एक
लाख
36
हजार
करोड़
रुपये
से
अधिक
का
भुगतान
लंबित
उरांव
ने
कहा
कि
भूमि
अधिग्रहण
के
बावजूद
लगभग
एक
लाख
36
हजार
करोड़
रुपये
से
अधिक
का
भुगतान
लंबित
है।
इसके
अलावे
32,000
करोड़
रुपये
कामन
काउज
के
तहत
बकाया
है
तो
धुले
कोयले
के
एवज
में
2900
करोड़
रुपये
की
रायल्टी
बकाया
होने
का
दावा
झारखंंड
ने
किया
है।
सूखाग्रस्त
घोषित
पत्र
प्रेषित
पर
शीघ्र
कार्रवाई
की
मांग
वित्त
मंत्री
ने
कहा
कि
प्रदेश
के
22
जिलों
के
226
प्रखंडों
को
सूखाग्रस्त
घोषित
किया
गया
है।
डा.
रामेश्वर
उरांव
ने
कहा
कि
तत्काल
राहत
के
लिए
सूखा
प्रभावित
परिवारों
को
3500
रुपये
को
भुगतान
किया
जा
रहा
है।
राज्य
सरकार
की
ओर
से
कृषि
एवं
किसान
कल्याण
मंत्रालय
को
पत्र
प्रेषित
किया
गया
है।
उन्होंने
इस
पर
शीघ्र
कार्रवाई
करने
का
अनुरोध
केंद्र
सरकार
से
किया।
गुरुजी
क्रेडिट
कार्ड
योजना
के
बारे
में
दी
जानकारी
इसके
अलावा
गुरुजी
क्रेडिट
कार्ड
योजना
के
बारे
में
भी
उन्होंने
जानकारी
दी
और
बताया
कि
इस
माध्यम
से
छात्रों
को
15
वर्षों
के
लिए
15
लाख
रुपये
का
ऋण
चार
प्रतिशत
वार्षिक
ब्याज
की
दर
पर
मिल
सकेगा।
उन्होंने
कहा
कि
आर्थिक
रूप
से
कमजोर
छात्रों
को
कोलैटरल
फ्री
7.5
लाख
रुपये
तक
का
ऋण
मुहैया
कराया
जा
रहा
था।
इसे
बढ़ाकर
15
लाख
रुपये
तक
करने
का
आग्रह
किया
गया
है।
पेयजल
सुविधा
को
आगे
बढ़ाने
की
मांग
उरांव
ने
कहा
कि
केंद्र
सरकार
के
द्वारा
प्रत्येक
घर
को
पेयजल
सुविधा
मुहैया
कराने
के
लिए
2024
तक
का
लक्ष्य
निर्धारित
किया
गया
है।
झारखंड
की
भौगोलिक
स्थिति
को
देखते
हुए
2024
तक
ऐसा
होना
संभव
नहीं
है
और
समय
सीमा
को
तार्किक
रूप
से
आगे
बढ़ाया
जाए।
हर
खेत
को
पानी
पहुंचाने
के
लिए
योजना
की
मांग
उरांव
ने
केंद्र
सरकार
से
आग्रह
किया
कि
हर
खेत
को
पानी
पहुंचाने
के
लिए
योजना
चलाई
जाए।
झारखंड
में
फिलहाल
14
प्रतिशत
खेत
ही
सिंचित
है।
इस
कारण
से
यहां
के
किसानों
को
एक
फसल
का
ही
लाभ
मिल
पाता
है।
ग्रामीण
इलाकों
में
सड़कों
के
निर्माण
को
लेकर
पीएमजीएसवाई
का
दायरा
बढ़ाने
की
बात
भी
उरांव
ने
कही।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर केंद्र सरकार अपने मेमोरेंडम को इस प्रकार संशोधित करे कि सरकारी उपक्रम के माध्यम से खर्च राशि को आधारभूत संरचना के निर्माण में पूंजीगत व्यय माना जाए तो राज्यों की ऋण लेने की सीमा बढ़ने की संभावना बनेगी। इस प्रकार राज्यों की आर्थिक समस्याओं का निदान हो सकता है।
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