नीतीश-पवार के बाद BJD ने उठाई जातीय जनगणना की मांग, राज्यसभा सांसद केंद्र से की ये मांग
नई दिल्ली, 27 मई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर चर्चा के लिए 1 जून को पटना में सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें जदूय के सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी शामिल होने पर अपनी सहमित दे दी है. इधर, बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद अमर पटनायक का कहना है कि उनकी पार्टी ओडिशा में जातीय जनगणना कराने के पक्ष में है। साथ ही उन्होंने कहा कि बीजद इस बात को वरीयता देगी कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराए।
बीजेडी सांसद अमर पटनायक ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2020 के आदेश के मुताबिक पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए कास्ट सेंसस डेटा एक अनिवार्य शर्त है। ऐसे में केंद्र सरकार इसको कराने के लिए बेहतर स्थिति में होगी। उन्होंने आगे कहा 'जातीय जनगणना के बिना आरक्षण संभव नहीं है। ओडिशा सरकार ने पहले जाति जनगणना के लिए केंद्र से संपर्क किया था। हम एक बार फिर अपनी मांग दोहराते हैं।' आपको बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार ने जाति आधारित राष्ट्रीय जनगणना की मांग की है।
ओडिशा
में
राज्स
सरकार
करा
सकती
है
जातीय
सर्वेक्षण
बीजेडी
राज्यसभा
सांसदअमर
पटनायक
ने
कहा
कि
ओडिशा
राज्य
पिछड़ा
वर्ग
आयोग
(OSCBC)
ने
पिछले
साल
मई
में
जातीय
सर्वेक्षण
करने
का
फैसला
किया
था.
हालांकि,
कोविड
के
कारण
इसे
स्थगित
करना
पड़ा.
यदि
केंद्र
नहीं
करता
है
तो,
इसके
लिए
ओडिशा
सरकार
नई
तारीखों
का
ऐलान
फिर
से
करेगी.
सुप्रीम
कोर्ट
ने
दिसंबर
2020
के
अपने
आदेश
में
स्थानीय
निकाय
चुनावों
में
ओबीसी
रिजर्वेशन
लागू
करने
के
लिए
कुछ
शर्तें
रखी
थीं.
जिसमें
तीन
परीक्षणों
पर
जोर
दिया
था।
इसके
अलावा
पिछड़ा
वर्ग
आयोग
का
गठन,
पिछड़ेपन
की
प्रकृति
की
कठोर
अनुभवजन्य
जांच,
और
आरक्षण
का
अनुपात
समग्र
कोटा
के
अधीन
50%
से
अधिक
नहीं
होना,
शीर्ष
अदालत
की
पूर्व
निर्धारित
शर्तों
में
शामिल
था।
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OBC
आरक्षण
के
लिए
ट्रिपल
टेस्ट्स
जरूरी
सूत्रों
की
मानें
तो
ओडिशा
में
नवीन
पटनायक
सरकार
राज्य
में
जातीय
सर्वेक्षण
कराने
की
योजना
बना
रही
है।
मध्य
प्रदेश
सरकार
द्वारा
तीन
परीक्षणों
का
अनुपालन
करने
के
बाद,
सुप्रीम
कोर्ट
ने
18
मई
को
राज्य
में
होने
वाले
स्थानीय
निकाय
चुनावों
में
ओबीसी
कोटा
लागू
करने
की
मंजूरी
दे
दी
थी।
ओडिशा
सरकार
को
लगता
है
पिछड़ा
वर्ग
आयोग
के
जातीय
सर्वेक्षण
से
राज्य
का
'ट्रिपल
टेस्ट्स'
स्टेटस
सुनिश्चित
हो
जाएगा।
इससे
राज्य
स्थानीय
निकाय
चुनावों
में
पिछड़े
वर्गों
को
आरक्षण
देने
की
स्थिति
आ
जाएगी।