'वन नेशन, वन इलेक्शन' के प्रस्ताव का AAP ने किया विरोध, बताया संविधान के लिए खतरा
आम आदमी पार्टी विधायक आतिशी ने कहा जब ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को हम गहराई से जांचते हैं, तो कई बहुत चिंताजनक तथ्य और सैद्धांतिक मुद्दे सामने आते हैं।
आम आदमी पार्टी विधायक आतिशी ने कहा कि भाजपा ने पहली बार 2017 में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का प्रस्ताव देश के सामने रखा। 'वन नेशन, वन इलेक्शन' यानी केंद्र सरकार व राज्य सरकारों का चुनाव एक साथ होना चाहिए और पांच साल के अंतर के बाद ही अगला चुनाव होने चाहिए। इस प्रस्ताव को लॉ कमीशन के सामने रखा गया। साल 2018 में लॉ कमीशन ने अपनी एक रिपोर्ट देश के सामने पेश की, जिसमें लॉ कमीशन ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के प्रस्ताव को अपना समर्थन दिया। दिसंबर 2022 में लॉ कमीशन ने सभी राजनीतिक दलों को अपनी रिपोर्ट भेजी और उसपर उनकी राय मांगी। आम आदमी पार्टी ने भी 'वन नेशन वन इलेक्शन' के प्रस्ताव पर अपनी राय रखी है।
AAP
ने
जताया
कड़ा
विरोध
आप
की
वरिष्ठ
नेता
आतिशी
ने
कहा
कि
जब
'वन
नेशन,
वन
इलेक्शन'
की
बात
होती
है
और
जब
सबसे
पहले
कोई
भी
यह
बात
सुनता
है,
तो
उसे
लगता
है,
यह
ठीक
बात
है,
तार्किक
भी
है।
इसमें
क्या
हर्ज
है।
जब
हमारे
देश
में
हर
कुछ
महीने
में
कहीं
न
कहीं
चुनाव
होते
रहते
हैं,
तो
इसमें
क्या
हर्ज
है
कि
अगर
सारे
चुनाव
एक
साथ
हो
जाएं।
लेकिन
जब
'वन
नेशन,
वन
इलेक्शन'
के
प्रस्ताव
को
हम
गहराई
से
जांचते
हैं,
तो
कई
बहुत
चिंताजनक
तथ्य
और
सैद्धांतिक
मुद्दे
सामने
आते
हैं
कि
किस
तरह
से
अगर
'वन
नेशन,
वन
इलेक्शन'
लागू
हो
जाए
तो
इस
देश
के
लोकतंत्र
को
बहुत
भारी
झटका
लगेगा।
इसलिए
आम
आदमी
पार्टी
ने
'वन
नेशन,
वन
इलेक्शन'
का
सख्त
विरोध
करते
हुए
लॉ
कमीशन
को
लिखित
में
अपनी
राय
सौंपी
है।
दिल्ली हाट आईएनए अब दिखेगा नए लुक में, केजरीवाल सरकार ने नए डिजाइन को दी मंजूरी
आतिशी ने कहा कि भारत के संविधान में मूल संरचना, एक ऐसा संवैधानिक सिद्धांत है, जिसको सुप्रीम कोर्ट की 13 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने केशवानंद भारती केस में स्थापित किया था। इसमें लिखा है कि केंद्र सरकार ऐसी कोई भी कानून या पॉलिसी नहीं ला सकती है, जो इस देश के संविधान की मूल संरचना का हनन करे. हमारे देश में संविधान का जो मूल ढांचा है, वो सरकार का संसदीय रूप है। सरकार के संसदीय रूप में कई तरह के जवाबदेही शामिल होती है।