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Varuthini Ekadashi 2022: वरूथिनी एकादशी आज, जानें पूजा विधि और कथा

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली, 26 अप्रैल। वैशाख माह के कृष्णपक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहा जाता है। वैशाख स्नान कर रहे लोगों के लिए यह एकादशी विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजन करने से समस्त कार्यो में सफलता मिलती है। पद्म पुराण में इस एकादशी का महत्व प्रतिपादित करते हुए कहा गया है कि जो मनुष्य सच्ची श्रद्धा और काम्य संकल्प लेकर वरूथिनी एकादशी का व्रत विधान करता है उसके समस्त मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। यदि विवाह की कामना से युवक-युवती यह व्रत करें तो उन्हें योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और धन-धान्य से घर के भंडार भर जाते हैं। इस बार वरूथिनी एकादशी 26 अप्रैल 2022, मंगलवार को आ रही है।

वरूथिनी एकादशी आज, जानें पूजा विधि और कथा

वरूथिनी एकादशी व्रत विधि

इस एकादशी के व्रत की विधि भी समस्त एकादशियों के समान ही है किंतु इस एकादशी पर भगवान विष्णु के वराह स्वरूप का ध्यान-पूजन किया जाता है। साथ ही खरबूजे को फलाहार के रूप में ग्रहण किया जाता है। वरूथिनी एकादशी 26 अप्रैल को रात्रि 12.50 बजे तक रहेगी। इस दिन शतभिषा नक्षत्र और ब्रह्मा योग हैं। इसलिए ब्रह्मा योग में विष्णु का पूजन सार्थक और फलदायी रहेगा। व्रत का पारण 27 अप्रैल को प्रात: 6.41 से 8.32 बजे तक किया जाएगा।

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वरूथिनी एकादशी की व्रत कथा

पुराण कथा के अनुसार एक समय नर्मदा किनारे एक राज्य था जिस पर राजा मांधाता राज किया करते थे। राजा बहुत ही धर्मात्मा थे और उनकी दालशीलता की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। वे भगवान विष्णु के अनन्य उपासक थे। एक बार राजा जंगल में तपस्या के लिए गए और एक विशाल वृक्ष के नीचे आसन लगाकर तपस्या में लीन हो गए। उसी दौरान एक विशाल जंगली भालू ने उन पर हमला कर दिया और राजा के पैरों को अपने जबड़े में दबाकर चबाने लगा। तपस्या में होने के कारण मांधाता संयमपूर्वक बैठे रहे। जब भालू उन्हें घसीट कर ले जाने लगा तो राजा ने तपस्वी धर्म का पालन करते हुए क्रोध नहीं किया और भगवान विष्णु से इस संकट से रक्षा करने की विनती की। राजा की तपस्या से प्रसन्न् भगवान विष्णु तुरंत प्रकट हुए और भालू को अपने सुदर्शन चक्र से मार दिया लेकिन तब तक भालू राजा के पैर को लगभग पूरा चबा चुका था। राजा बहुत दुखी थे दर्द में थे। भगवान विष्णु ने कहा कि वत्स परेशान ना हो वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर मेरे वराह रूप की पूजा करना। व्रत के प्रताप से तुम पुनथ संपूर्ण अंगों वाले हष्ट-पुष्ट हो जाओगे। भालू ने जो भी तुम्हारे साथ किया यह तुम्हारे पूर्वजन्म के पाप का फल है। इस एकादशी के व्रत से तुम्हें सभी पूर्व जन्म के पापों से भी मुक्ति मिल जाएगी। मांधाता ने व्रत किया और वह पूर्व की तरह स्वस्थ हो गया। व्रत के प्रताप से राजा की कीर्ति भी चारों ओर फैल गई और उसका राज्य समृद्ध राज्य बन गया।

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English summary
Varuthini Ekadashi Today, Read Puja Vidhi and Katha in details.
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