Vaijanti Mala: जानिए वैजयंती माला के फायदे और महत्व
लखनऊ। वैजयंती माला के सम्बन्ध में प्राचीन ग्रन्थों काफी महिमा का बखान किया गया है। यह माला धरा ने श्रीकृष्ण को भेंट में दी थी, अतः श्रीकृष्ण को यह माला अत्यन्त प्रिय थी। यह माला वैजयंती के बीजों से बनती है। इसे पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन, तन्त्र व सात्विक साधनों में प्रयोग किया जाता है। वैसे तो हर मनुष्य इसे धारण कर सकता है लेकिन वैष्णव भक्त व लक्ष्मी भक्तों के लिए यह माला अत्यन्त श्रेष्ठ है।
- माला धारण की विधि-शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को स्नान-ध्यान करके 'ऊं नमः भगवते वासुदेवाय' मन्त्र का कम से कम 108 बार जाप करें फिर किसी मन्दिर में गरीबों को मीठा भोजन करायें उसके बाद इस माला को धारण करना चाहिए।
- विवाह बाधा हेतु-यदि किसी लड़का या लड़की के विवाह में लगातार बाधा आ रही है तो वैजयंती माला से 'ऊं नमः भगवते वासुदेवाय' मन्त्र की कम से एक माला का नित्य जाप करें और केले के पेड़ पूजन करें। ऐसा करने से विवाह में आ रही हर प्रकार की बाधा दूर हो जाती है और जातक का शीघ्र विवाह सम्पन्न हो जाता है।
आकर्षण के लिए
श्रीकृष्ण को मोहन इसलिए भी कहा जाता है कि वे जहां जाते थे, सभी को मोह लेते थे। इसको धारण करने से शत्रु मित्रवत व्यवहार करने लगते है। वैजयंती माला को धारण करने से सम्मान में वृद्धि होती है, कार्यो में सफलता मिलती है और मानसिक सुकून प्राप्त होता है।
आत्म-विश्वास में वृद्धि के लिए
यदि बच्चों को परीक्षा से पहले भय लगता है तो बच्चों को एक वैजयंती माला पहनाने से लाभ मिलता है। संकट के समय जोर से श्वांस खीचकर छोड़ो और फिर माला पर हाथ फिरानें से हर प्रकार का भय दूर हो जाता है।
मन शान्त करने के लिए
जिन व्यक्तियों का मन लगातार परेशान रहता है या किसी कार्य में मन नहीं लगता है तो ऐसे व्यक्तियों को मंगलवार के दिन वैजयंती माला पहनाने से मन शान्त रहता है और मन में सकारात्मक विचार आते है।
समस्याओं के निराकरण हेतु
यदि आप आये दिन समस्याओं से घिरे रहते है तो वैजयंती माला से 'ऊं नमः भगवते वासुदेवाय' मन्त्र का 2100 बार जाप करके गले में पहन लेने से समस्याओं का निराकरण हो जाता है।
नई स्फूर्ति व चेतना हेतु
वैजयन्ती माला को किसी शुभ मुहूर्त श्रीकृष्ण जी का ध्यान करके पहनने से शरीर में नई स्फूर्ति व आनन्द का संचार होता है। व्यक्ति में धैर्य व साहस बना रहता है।
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