Tulsi Vivah 2018: जानिए तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
नई दिल्ली। भगवान विष्णु के स्वरुप शालिग्राम और माता तुलसी के मिलन का पर्व तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवप्रबोधिनी एकादशी को मनाया जाता है। आज के दिन सनातन धर्मावलम्बी घर की साफ़-सफाई करते हैं और रंगोली सजाते हैं। शाम के समय तुलसी चौरा के पास गन्ने का भव्य मंडप बनाकर उसमें साक्षात् नारायण स्वरुप शालिग्राम की मूर्ति रखते हैं और फिर विधि-विधानपूर्वक उनके विवाह को संपन्न कराते हैं।
आज है तुलसी विवाह
यह विवाह बहुत ही धूमधाम से गाजे-बाजों के साथ किया जाता है, इस दौरान तुलसी को लाल चुनरी उड़ाकर दुल्हन की तरह श्रृंगार का सामान रखा जाता है तो वहीं, शालीग्राम बैंड-बाजे के साथ बारात लेकर आते हैं, मान्यता है कि जिन घरों में बेटियां नहीं होती वो तुलसी विवाह के जरिए कन्या दान का सुख प्राप्त कर सकते हैं।
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तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
तुलसी
विवाह
देवोत्थान
एकादशी
के
दिन
किया
जाता
है,
लेकिन
कई
जगहों
पर
इस
विवाह
को
द्वादशी
तिथि
को
भी
करते
हैं।
ये
है
आज
का
शुभ
मुहूर्त
- एकादशी तिथि आरंभ: 19 नवंबर 2018 को दोपहर 2:29 बजे से
- द्वादशी तिथि समाप्त: 20 नवंबर 2018 को दोपहर 2:40 बजे तक
- वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
- पुष्पसारा नन्दनीच तुलसी कृष्ण जीवनी।।
- एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
- य: पठेत तां च सम्पूज् सौऽश्रमेघ फलंलमेता।।
क्या है कथा
पौराणिक कथानुसार एक बार सृष्टि के कल्याण के उद्देश्य से भगवान विष्णु ने राजा जालंधर की पत्नी वृंदा के सतीत्व को भंग कर दिया। इस पर सती वृंदा ने उन्हें श्राप दे दिया और भगवान विष्णु पत्थर बन गए, जिस कारणवश प्रभु को शालिग्राम भी कहा जाता है और भक्तगण इस रूप में भी उनकी पूजा करते हैं। इसी श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु को अपने शालिग्राम स्वरुप में तुलसी से विवाह करना पड़ा था और उसी समय से तुलसी विवाह का यह अनूठा रस्म प्रत्येक साल मनाया जाता है।
तुलसी नामाष्टक का जप करें....
तुलसी विवाह के दौरान व्रत रखने का बड़ा ही महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन श्रद्धा-भक्ति और विधिपूर्वक व्रत करने से व्रती के इस जन्म के साथ-साथ पूर्वजन्म के भी सारे पाप मिट जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
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