क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मुश्किल है सलमान रुश्‍दी को सहना

By विजयेंद्र मोहंती
Google Oneindia News

पिछले सप्‍ताह मशहूर लेखक सलमान रुश्‍दी सुर्खियों में आये। कारण था उनकी पश्चिम बंगाल की यात्रा और उनकी प्रतिबंधित किताब सैटेनिक वर्सेस। शायद इस किताब में जो उन्‍होंने लिखा है, उसे देखकर रुश्‍दी के प्रति गुस्‍से के कारण बढ़ ही जायेंगे।

मैं उन वाक्‍यों पर जाना चाहता हूं, जो असहनीय रुश्‍दी ने अपनी किताब में लिखे। अधिकांश लोग इसे मानेंगे नहीं, लेकिन रुश्‍दी की किताब ईमानदारी से पढ़ने वाले पाठकों के लिये बनी है। कई जिन्‍होंने रुश्‍दी की नोवल से पढ़ना शुरू किया वे उसके अंदर खिंचता हुआ महसूस करेंगे या उन्‍हें लगेगा कि यह कभी खत्‍म नहीं होगी। क्‍या हम यह मान सकते हैं कि इन पाठकों में अच्‍छे साहित्‍य पढ़ने की रुचि नहीं रही या फिर ये गहराई से पढ़ना नहीं चाहते और या रुश्‍दी जैसे लेखक यही परोसते हैं?
हो सकता है। लेकिन चूंकि मैं खुद को उन लोगों में गिनता हूं, जो रुश्‍दी को पचा नहीं सकते, इसलिये मुझे एक वैकल्पिक सार को तलाशना होगा।

Salman Rushdie

शायद चूंकि हम भारत के पाठक हैं, हमें रुश्‍दी को पचाना बहुत कठिन लगता है। हो सकता है रुश्‍दी जिन लोगों के लिये लिखते हैं वो पश्चिमी देशों के पाठक हों। हमने रोजमर्रा की जिंदगी में देखना शुरू कर दिया है, जो एक मिडिल क्‍लास की चिंता है। ऐसा नहीं है कि ऐसी किताबों को हर जगह ख्‍याति मिले और ढेर सारे अवार्ड भी। हम भारत में ऐसे कई लेखकों को देखते हैं, जिनकी हर व्‍यक्ति तारीफ करता है, लेकिन पढ़ता नहीं। और कई ऐसे हैं, जिन्‍हें चेतन भगत जैसी ख्‍याति नहीं मिलती, क्‍योंकि उनका काम मौत, बीमारी, गरीबी, और ब्रिटिश राज की यादों को ताज़ा नहीं करते। आखिरकार ये किताबें ही हैं, जिन्‍हें पश्चिमी देशों में सबसे ज्‍यादा सम्‍मान मिला।

चेतन भगत की उपलब्धि यह है कि वो अपनी कहानियां सामान्‍य भारतीय पाठकों को देते हैं। भारत में किताबों का बाजार हलका पड़ता जा रहा है, क्‍योंकि भारतीय पढ़ना पसंद नहीं करते, क्‍योंकि जो लिखते हैं, वो भारतीय नहीं।

एक चीनी ब्‍लॉगर ने लिखा- मिस्‍टर भगत विभिन्‍न भाषाओं में, मार्मिक और दिल को दू लेने वाली कानियां लिखते हैं, ताकि हम भारत के युवाओं की स्‍पष्‍ट तस्‍वीर दिखा सकें। मुझे अपशब्‍द इस्‍तेमाल करने से रोकना चाहिये, लेकिन मैं उन बुद्धिजीवियों को हिलाना चाहता हूं, जो यह कहते हैं कि चेतन भगत खराब कहानियां लिख नहीं सकते।

जब कोई कॉमन सेंस के लेंस से इस पूरे जाल को देखे तो उसे साफ हो जायेगा कि हमारे साहित्‍य की पूरी दास्‍तां महसूस किये गये मूल्‍यों पर आधारित है। किताबों पर धार्मिक, धर्मनिर्पेक्ष या अन्‍य युद्ध छिड़े हुए अब अरसा हो गया है।

यह लेख नीति सेंट्रल में प्रकाशित के लेख का सार है।

Comments
English summary
In light of all that has been said this past week about the intolerance on display against acclaimed author Salman Rushdie and the opinions he has expressed in his unfortunately banned book Satanic Verses.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X