Sharad Purnima or Kojagari Laxami Puja 2021: जानिए लक्ष्मी पूजन का मंत्र और वक्त
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर। अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। आज के दिन कोजागरी लक्ष्मी पूजा की परंपरा है। कहते हैं कि आज के ही दिन मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था इसलिए आज का दिन काफी पावन है। कहते हैं आज के दिन मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण के लिए आती हैं और इसलिए बहुत लोग आज अपने घरों के मुख्यद्वार पर दीपक जलाते हैं, जिससे कि मां लक्ष्मी जब भी उनके घर के पास से गुजरें तो उन्हें हार्दिक प्रसन्नता हो।

क्या है लक्ष्मी पूजन का समय
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - अक्टूबर 19, 2021 को 07:03 PM
- पूर्णिमा तिथि समाप्त - अक्टूबर 20, 2021 को 08:26 PM
पावन है आज का दिन
पूर्णिमा का दिन वैसे भी काफी पावन होता है, कहते हैं कि चांद आज 16 कलाओं से पूर्ण होता है। आज वो अफने पूरे आकार में होता है। आज रात धरती पर चांदनी बरसती है और इसलिए मां लक्ष्मी धरती पर घूमने आती हैं और अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें सुख-वैभव का आशीर्वाद देती हैं। आज के दिन लोगों के घरों में खीर बनती है और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। कहते हैं कि आज के दिन चांद की किरणों से अमृत वर्षा होती है।
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आज के दिन मां लक्ष्मी को इन मंत्रों से करें प्रसन्न
- मंत्र: ॐ धनाय नम: (धन लाभ के लिए)
- मंत्र: ओम लक्ष्मी नम: (घर सुख के लिए)
- मंत्र : ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम ( मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए)
- मंत्र: लक्ष्मी नारायण नम: ( वैवाहिक सुख के लिए)
- मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: (सफलता के लिए
- मंत्र: अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि, वैदिक रूपिणि वेदमये क्षीर समुद्भव मङ्गल रूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
- मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ ( पद प्रतिष्ठा के लिए)
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:..
- ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा..
- ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:.

चंद्रमा को प्रसन्न करने के मंत्र
- क्षीरोदार्णवसम्भूत अत्रिगोत्रसमुद् भव ।गृहाणार्ध्यं शशांकेदं रोहिण्य सहितो मम ।।
- ॐ चं चंद्रमस्यै नम:
- दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
- ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।
- ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
- ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विद्महे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।