Shani Pradosh 2022 Date: कब है शनिप्रदोष व्रत? क्या है व्रत के लाभ?
Shani Pradosh 2022: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में 5 नवंबर 2022 को हर्ष योग में शनिप्रदोष व्रत आ रहा है। जो मनुष्य इस शनिप्रदोष का व्रत करेगा वह भगवान शिव और शनि की कृपा से परिपूर्ण हो जाएगा। उसके सारे कार्य सिद्ध हो जाएंगे और उसके जीवन में समृद्धि और खुशहाली आ जाएगी। इस दिन प्रदोषकाल में भगवान शिव का विधि विधान से पूजन करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होगी और संकटों का हल मिलेगा।
5 नवंबर को द्वादशी तिथि सायं 7 बजकर 7 मिनट तक रहेगी इसके बाद त्रयोदशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। चूंकिप्रदोषकाल सायंकाल का ही समय होता है इसलिए प्रदोष व्रत 5 नवंबर को ही किया जाएगा। अगले दिन अर्थात् 6 नवंबर को त्रयोदशी तिथि सायं 4 बजकर 29 मिनट पर ही समाप्त हो जाएगी। 5 नवंबर को रात्रिकाल र्पयत हर्ष योग रहेगा।
कैसे करें प्रदोष व्रत
प्रदोष के दिन सूर्योदय पूर्व जागकर स्नानादि से निवृत्त होकर पंचदेवों की नित्य पूजा कर शिवजी के सामने व्रत का संकल्प लें। संकल्प सकाम और निष्काम दोनों हो सकता है। अर्थात् यदि आप अपनी किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए व्रत कर रहे हैं तो संकल्प के समय उसकी पूर्ति करने का उच्चारण करें। इसके बाद दिनभर निराहार रहते हुए शाम को प्रदोषकाल में भगवान शिव का पूजन अभिषेक करें। प्रदोष व्रत की कथा सुने या पढ़ें और नैवेद्य लगाकर आरती कर प्रसाद ग्रहण करें।
शनिप्रदोष का लाभ
- शनिवार और सोमवार के दिन प्रदोष का आना अत्यंत विशेष होता है। शनिप्रदोष के दिन शिवजी के साथ शनिदेव की प्रसन्नता भी प्राप्त होती है।
- इस दिन शिवजी का पंचामृत से अभिषेक करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
- शनिप्रदोष के दिन शिवजी और उनके ऊपर लगे सर्प का दूध से अभिषेक करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
- शनिप्रदोष के दिन शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करें दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करें शनि की शांति होती है।
- शनिदेव को काले तिल, उड़द, लोहा, काला कपड़ा और तेल अर्पित करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
- शनिप्रदोष के दिन पनौती दूर करने के लिए अपने पहने हुए कपड़े और चप्पल किसी शनि मंदिर के बाहर छोड़ आएं।
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