Sabarimala Temple: कौन हैं अयप्पा स्वामी, जानिए सबरीमाला मंदिर के बारे में ये बातें
नई दिल्ली। आज देश की सर्वोच्च अदालत ने सबरीमाला मंदिर पर बड़ा फैसला सुनाते हुए महिलाओं के प्रवेश पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है और इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बड़ी बेंच में रेफर को भेज दिया है. अब सात जजों की बेंच इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी, दो जजों की असहमति के बाद यह केस बड़ी बेंच को सौपा गया है, गौरतलब है कि 5 जजों वाली बेंच ने 3:2 के अनुपात से इस मामले को बड़ी बेंच को भेजा है।
चलिए जानते हैं आस्था के केंद्र सबरीमाला मंदिर के बारे में खास बातें...
सबरीमाला में भगवान अयप्पा स्वामी की पूजा होती है
सबरीमला, केरल के पेरियार टाइगर अभयारण्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है, जहां भगवान अयप्पा स्वामी की पूजा होती है, यहां प्रति वर्ष लगभग 2 करोड़ लोग श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, इस मंदिर को मक्का-मदीना की तरह विश्व के सबसे बड़े तीर्थ स्थानों में से एक माना जाता है।
समुद्रतल से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है मंदिर
मालूम हो कि केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किमी की दूरी पर पंपा है और वहां से चार-पांच किमी की दूरी पर पश्चिम घाट से सह्यपर्वत शृंखलाओं के घने वनों के बीच, समुद्रतल से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर सबरीमला मंदिर स्थित है।
'सबरीमला' का अर्थ होता है, पर्वत
मलयालम में 'सबरीमला' का अर्थ होता है, पर्वत। वास्तव में यह स्थान सह्याद्रि पर्वतमाला से घिरे हुए पथनाथिटा जिले में स्थित है। पंपा से सबरीमला तक पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह रास्ता पांच किलोमीटर लंबा है।
41 दिन का 'मण्डलम'
सबरी पर्वत पर घने वन हैं। इस मंदिर में आने के पहले भक्तों को 41 दिनों का कठिन व्रत का अनुष्ठान करना पड़ता है जिसे 41 दिन का 'मण्डलम' कहते हैं। यहां वर्ष में तीन बार जाया जा सकता है- विषु (अप्रैल के मघ्य में), मण्डलपूजा (मार्गशीर्ष में) और मलरविलक्कु (मकर संक्रांति में)।
शिशु शास्ता के अवतार हैं अयप्पन
कम्बन रामायण, महाभागवत के अष्टम स्कंध और स्कन्दपुराण के असुर काण्ड में जिस शिशु शास्ता का उल्लेख है, अयप्पन उसी के अवतार माने जाते हैं। कहते हैं, शास्ता का जन्म मोहिनी वेषधारी विष्णु और शिव के समागम से हुआ था।
परशुराम ने अयप्पन की मूर्ति स्थापित की थी
यह भी माना जाता है कि परशुराम ने अयप्पन पूजा के लिए सबरीमला में मूर्ति स्थापित की थी। कुछ लोग इसे रामभक्त शबरी के नाम से जोड़कर भी देखते हैं।
मकर ज्योति
इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में एक ज्योति दिखती है, जिसके साथ ही एक शोर भी सुनाई देता है, भक्त मानते हैं कि ये देव ज्योति है और भगवान इसे खुद जलाते हैं, इसे मकर ज्योति का नाम दिया गया है।
श्री अयप्पा ब्रह्माचारी थे....
इस मंदिर में महिलाओं का आना वर्जित है, इसके पीछे मान्यता ये है कि श्री अयप्पा ब्रह्माचारी थे इसलिए यहां 10 से 50 साल तक की लड़कियां और महिलाएं नहीं प्रवेश कर सकतीं, इस मंदिर में ऐसी छोटी बच्चियां आ सकती हैं, जिनको मासिक धर्म शुरू ना हुआ हो या ऐसी या बूढ़ी औरतें, जो मासिकधर्म से मुक्त हो चुकी हों।
28
सितंबर
2018
को
सुप्रीम
कोर्ट
ने
सुनाया
था
फैसला
केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत को लेकर कुछ महिला संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया था लेकिन परंपरा और धार्मिक मसला बताते हुए कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ चीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने एक रिव्यू पिटीशन दायर की गई थी, जिस पर आज सुनवाई हुई है।
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