Mahamrityunjaya Mantra: शिव के इन उपायों में समाएं हैं जीवन रक्षा के उपाय
नई दिल्ली, 18 फरवरी। भगवान शिव मृत्यु का भय दूर करने वाले देवता हैं। शिव के मंत्रों का जाप करने से नकारात्मकता को भी दूर किया जा सकता है। तंत्र शास्त्रों में शिवजी के मंत्र जप के साथ हवन, अभिषेक, कवच, न्यास, मुद्रादि का विशेष उल्लेख मिलता है और इनके माध्यम से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने के साथ नकारात्मक शक्तियों को भी दूर किया जा सकता है। शिव प्रयोगों का उपयोग षटकर्मो में भी किया जाता है। मारण, मोहन, आकर्षण, विद्वेषण, उच्चाटन, वशीकरण जैसे कर्मो को हवन, अभिषेक आदि के माध्यम से साधा जा सकता है, परंतु इनका उपयोग आत्म रक्षा के लिए किया जाना चाहिए, किसी को हानि पहुंचाने के लिए नहीं।
आइए जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र द्वारा विभिन्न वस्तुओं से हवन करने के कुछ उपाय जिनसे मनुष्य के अनेक कष्ट दूर हो जाते हैं। इन्हें दिन के अनुसार करना चाहिए।
- रविवार : रविवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का 10 हजार जप करके घी, जौ, धतूरे के बीच और पुष्पों से दशांश हवन करने पर शत्रु का स्तंभन किया जा सकता है। अर्थात् शत्रु आपको हानि पहुंचाने की स्थिति में नहीं रहेगा।
- सोमवार : सोमवार को महामृत्युंजय मंत्र का 10 हजार जप करके घी, जौ, लाजा और पत्ते वाले शाक से दशांश हवन करने पर मोहन होता है। इसके बाद किसी विशेष कार्य के लिए उच्चाधिकारी के सामने जाएं लाभ होगा।
- मंगलवार : मंगलवार को जप के बाद घी, श्रीपर्णी, मधु, श्रीफल और इमली से हवन करने पर शत्रु द्वारा पहुंचाई जाने वाली पीड़ा समाप्त होती है। शत्रु परास्त होते हैं।
- बुधवार : बुधवार को 10 हजार जप करके घी, शतारी, त्रिकंटक और बिल्वपत्र द्वारा हवन करने से आकर्षण होता है। साधक में प्रत्येक स्त्री-पुरुष को वशीभूत करने की शक्ति आ जाती है।
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- गुरुवार : गुरुवार को 10 हजार जप करके घी, कमलगट्टे और चंदन आदि से दशांश हवन करने पर वशीकरण होता है।
- शुक्रवार : शुक्रवार को 10 हजार जप करके श्मशान में जाकर हवन करने से शत्रु का उच्चाटन होता है।
- शनिवार : शनिवार को 10 हजार जप करके घी, दूध, बैंगन और धतूरे के पुष्प से हवन करने पर शत्रुओं का शमन होता है। शांति प्राप्त होती है।
- शनिवार या मंगलवार के दिन पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर उसका स्पर्श करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का एक हजार जप करें। दूब, बरगद के पत्ते, जटा, जवापुष्प, कनेर के पुष्प, बिल्वपत्र, ढाक की समिधा और काली अपराजिता के पुष्प के साथ घी मिलाकर दशांश हवन करें। इससे शीघ्र रोग मुक्ति मिलती है और जीवन की रक्षा होती है।
- महामृत्युंजय मंत्र का एक हजार जप करके नीम के पत्ते सरसों के तेल में मिलाकर हवन करने से शत्रु द्वारा नुकसान पहुंचाने के लिए किए गए कृत्य दूर होकर जीवन की रक्षा होती है।
- जीवन पर अचानक आए संकट और आपदा से रक्षा के लिए महामृत्युंजय मंत्र के 10 हजार जप के बाद जवापुष्प और विष्णुक्रांता के पुष्पों से हवन करना चाहिए।