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मुजफ्फरनगर दंगा: शोलों में फिर जलता हिन्दुस्तान
रीति
गलियाँ,
भय,
सन्नाटा
पथ
सारा
सुनसान
मिला
चहल
पहल
क्रंदन
से
गुंजित
बस्ती
का
शमशान
मिला
दहन
हुआ
भाई
चारा
सब
रिश्ते
नाते
बदल
गए
खामोशी
सी
पसर
गई
है
पथराया
इंसान
मिला
गोली,
बरछे,
डंडे,
लाठी
तलवारों
का
खेल
हुआ
तकरीरों
के
शोलों
में
फिर
जलता
हिन्दुस्तान
मिला
सुलगे
मन,
टूटी
आशाएं,
खुले
हुए
ज़ख्मों
के
ढेर
आँखों
में
सूना
सूना
सा
बादल
इक
वीरान
मिला
झगडा
टन्टा
मार
पिटाई
जिसकी
खातिर
सब
लफड़े
मंदिर
मस्जिद
सब
थे
किंतु
कहीं
नहीं
भगवान
मिला
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English summary
A Impressive Poetry on Muzaffarnagar Riots written by Oneindia Reader and Poet Digamber Naswa.
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