कौन था महिषासुर, क्यों मनाते हैं जेएनयू वाले उसका शहादत दिवस?
नई दिल्ली। जेएनयू में देश विरोधी बयानों को लेकर इस समय राष्ट्र और राष्ट्र के राजनेताओं के बीच में घमासान मचा हुआ है तो वहीं इस घमासान का रंग उस समय और लाल हो गया जब जेएनयू में 'महिषासुर दिवस' मनाने की बात सामने आयी।
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जेएनयू में यह दिवस हर साल मनाया जाता है और वहां महिषासुर को एक असुर या दानव नहीं बल्कि एक स्वाभिमानी दलित नेता के रूप में याद किया जाता है।
आईये स्लाइडों के जरिये जानते हैं आखिर महिषासुर था कौन, जिस पर इतना विवाद मचा है...
दुष्ट राक्षस
हिंदू माइथोलॉजी के मुताबिक एक महिषासुर एक बलवान लेकिन दुष्ट राक्षस था।
पिता का नाम रंभ था
जिसके पिता का नाम रंभ था जो कि असुरों का राजा था।
महिषासुर का जन्म
रंभ को जल में रहने वाले भैंस से प्रेम हो गया और इन दोनों के योग से महिषासुर का जन्म हुआ।
महिष का अर्थ भैंस
संस्कृत में महिष का अर्थ भैंस होता है।
महिषासुर को वरदान मिला था
रंभ की वजह से राक्षस महिषासुर को वरदान मिला था कि वो जब चाहे भैंस बन जाये और जब चाहे मनुष्य।
ब्रम्हा, विष्णु और महेश से मदद मांगी
अपनी इस शक्ति से उसने देवताओं को परेशान कर दिया था और धरती-आकाश में उत्पात मचा दिया था जिससे परेशान होकर देवताओं ने ब्रम्हा, विष्णु और महेश से मदद मांगी।
मां दुर्गा को आकार दिया
महिषासुर
को
वरदान
प्राप्त
था
कि
उसे
कोई
मनुष्य
मार
नहीं
सकता
इसलिए
ब्रह्मदेव
ने
आदिशक्ति
का
सृजन
किया
और
मां
दुर्गा
को
आकार
दिया।
बुराई पर अच्छाई का प्रतीक
देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में हिंदू भक्तगण दस दिनों का त्यौहार दुर्गा पूजा मनाते हैं और दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।
महिषासुर दलितों का समर्थक?
लेकिन जेएनयू में कहा जाता है कि महिषासुर दलितों का समर्थक था उसे ब्राह्मण पसंद नहीं करते थे इसलिए उसे मारने के लिए उन्होंने सुंदर स्त्री दुर्गा का सहारा लिया जो कि वैश्या थी और उसने नौ रात सोने के बाद उसका वध कर दिया।