देवशयनी एकादशी: भगवान चले सोने, अगले चार महीने नहीं होंगे शुभ काम
नई दिल्ली। आज देवशयनी एकादशी है। आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चार माह भगवान विष्णु का शयनकाल होता है। 31 अक्टूबर 2017 को देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान का शयनकाल समाप्त होगा। इन चार माह में विवाह, गृहप्रवेश आदि मांगलिक कार्यों को करने की मनाही रहती है। इसीलिए चार माह हिंदू परिवारों में विवाह नहीं होते हैं।
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देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां चार माह पहरा देने जाते हैं। देवशयनी एकादशी से सूर्य दक्षिणायण हो जाते हैं ऐसे में मुंडन, उपनयन संस्कार, भवन निर्माण, गृह प्रवेश और वैवाहिक संस्कार नहीं होते हैं। देव शयन के दौरान केवल देवी-देवताओं की आराधना, तपस्या, हवन-पूजन आदि कार्य होते हैं। इस दौरान धार्मिक आयोजन, कथा, हवन, अनुष्ठान आदि करने का विशेष महत्व होता है।
सृष्टि के पालनकर्ता कहे जाने वाले भगवान विष्णु के शयनकाल में चले जाने के पश्चात चार माह की अवधि में सृष्टि संचालन का जिम्मा शिव परिवार पर रहता है। इस दौरान पवित्र श्रावण मास आता है जिसमें एक माह तक भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके पश्चात गणेश चतुर्थी व्रत होता है। गणपति की स्थापना कर उनका पूजन किया जाता है तथा उसके पश्चात देवी दुर्गा की आराधना के नौ दिन शारदीय नवरात्रि आती है।
चातुर्मास
व्रत
प्रारंभ
देवशयनी
एकादशी
से
चातुर्मास
व्रत
प्रारंभ
होता
है।
इस
दौरान
भगवान
विष्णु
के
व्रत
किए
जाते
हैं।
चातुर्मास
के
दौरान
हरी
पत्तेदार
शाक-सब्जियां
खाना
प्रतिबंधित
रहता
है।
मूली,
बैंगन,
गोभी,
पालक
आदि
नहीं
खाए
जाते
हैं।
देवउठनी
एकादशी
पर
अन्नकूट
करके
इन
सब्जियों
का
सेवन
प्रारंभ
किया
जाता
है।