Durga Visarjan 2021: हाथी चढ़कर विदा होंगी मां दुर्गा, जानिए 'विसर्जन' का अर्थ और विधि
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर। आदिशक्ति का महापर्व नवरात्रि महानवमी के साथ गुरुवार को समाप्त हो गया। आज मां की विदाई का दिन है। इस बार मां डोली पर सवार होकर आई थीं तो वहीं हाथी पर सवार होकर विदा होंगी। हाथी पर मां की वापसी शुभ संकेत माना जाता है। ये सुख-शांति और समृद्दि का मानक है। 'विसर्जन' का अर्थ होता है कि मिट्टी में मिल जाना। जो ये बताता है कि ये शरीर मिट्टी से मिलकर बना होता है और एक दिन मिट्टी में ही मिल जाता है बााकी दुनिया सिर्फ माया-मोह से भरी है।
वैसे तो 'दुर्गा विसर्जन' आज सुबह से शुरू है लेकिन इसके लिए 'शुभ मुहूर्त' दिन के 12 बजे के बाद और शाम चार बजे से पहले का है। कहते हैं मां की विदाई शुभ मुहू्र्त में करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है। मां की विदाई ठीक वैसे ही की जाती है जैसी कि बेटी की शादी के बाद विदाई होती है। जिस तरह मां-बाप की भावनाएं होती हैं अपनी पुत्री को विदा करने वक्त, ठीक उसी तरह से भावनाएं मां के सभी भक्तों के मन में भी होती हैं। आपको बता दें कि मां की विदाई से पहले भक्तगण मां की मूर्ति के आगे खूब नाचते गाते हैं,उत्सव मनाते हैं और अबीर-गुलाल से होली भी खेलते हैं।
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विसर्जन से पहले मां की विशेष पूजा की जाती है, उसकी विधि निम्नलिखित है...
सबसे पहले माता की कुमकुम, चावल, फूल, आदि से पूजा करें तथा इस मंत्र से देवी की पूजा करें
- रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे।
- पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।।
- महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
- आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।
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फिर मां से अपनी गलतियों की क्षमा मांगते हुए और मां से पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करनी चाहिए और निम्नलिखित मंत्र के साथ विसर्जन करना चाहिए-
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।