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रिश्तों पर प्रताप सोमवंशी के कुछ दोहे
डूब
मरूंगी
देखना
ताल-तलैया
खोज।
भइया
शादी
के
लिए
तुम
रोए
जिस
रोज।।
अम्मा
रोये
रात
भर
बीवी
छोड़े
काम।
मुंह
ढांपे
जागा
करें
दद्दा
दाताराम।।
चाचा
तुम
करने
लगे
रिश्तों
का
व्यापार।
आए
जब
से
दिन
बुरे
आए
न
एको
बार।।
छोटे
तुम
चिढ़
जाओगे
कह
दूंगा
बेइमान।
आते
हो
ससुराल
तक
हम
हैं
क्या
अनजान।।
भाभी
बेमतलब
रहे
हम
सबसे
नाराज।
उसको
हर
पल
ये
लगे
मांग
न
लें
कुछ
आज।।
पूरा
दिन
चुक
जाए
है
छोटे-छोटे
काम।
कब
लिख्खे
छोटी
बहू
खत
बप्पा
के
नाम।।
प्रताप सोमवंशी
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