Ahoi Ashtami 2021: अष्टमी व्रत आज, जानिए पूजा विधि और महत्व
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर। आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है, जिसे कि अहोई अष्टमी कहते हैं। आज के दिन स्ति्रयां अपनी संतानों की आयु और आरोग्यता के लिए निरजला व्रत रखकर पूजा करती हैं। यह व्रत वो महिलाएं भी करती हैं जिनकी संतानें होती हैं।
व्रत विधि
बच्चे की मां दिनभर व्रत रखती हैं। सायंकाल दीवार पर आठ कोष्टक की अहोई की पुतली रंग भरकर बनाएं। उस पुतली के पास सेई तथा सेई के बच्चों का चित्र भी बनाएं। आजकल बाजारों में बने बनाए पोस्टर भी मिलते हैं। उन्हें भी दीवार पर चिपकाया जा सकता है। इसके बाद सूर्यास्त के बाद अहोई माता की पूजा करने से पहले पृथ्वी को पवित्र करके चौक पूरकर एक लोटा जल भरकर एक पटरे पर कलश की भांति रखकर पूजा करें। पूजन करके कहानी सुनें। पूजा के लिए माताएं पहले से चांदी की अहोई बनाएं जिसे सेई कहते हैं और उसमें दो मोती डलवा लें। फिर अहोर्ठ की पूजा, रोली, चावल, दूध व भात से करें। जल भरे लोटे पर सातिया बना लें। एक कटोरी में हलवा तथा बायने के रुपए निकालकर रख लें और सात दानें गेहूं के लेकर कहानी सुनें। कहानी सुनने के बाद अहोई की माला गले में पहन लें। बायना सास या सास के समान किसी स्त्री को भेंट कर दें और उनका आशीर्वाद लें। चंद्रमा को अर्घ्य देकर स्वयं भोजन करें। दीपावली के बाद किसी शुभ दिन अहोई को गले से उतारकर उसका गुड़ से भोग लगाएं और जल के छींटे देकर मस्तक झुकाकर रख दें।
अहोई अष्टमी व्रत का लाभ और महत्व
- जिन महिलाओं की संतानें हमेशा अस्वस्थ रहती हैं उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
- संतानें होते ही मर जाती हैं, उन्हें भी यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
- संतानों की अच्छी और लंबी आयु के लिए महिलाओं को यह व्रत करना चाहिए।
- यह व्रत माता और पिता दोनों करें तो अधिक फल प्राप्त होता है।