छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का मलेरिया के खिलाफ संयुक्त अभियान
रायपुर। वनवासी क्षेत्रों में समय पर जांच व इलाज नहीं मिलने के कारण मलेरिया की वजह से हर वर्ष कई लोगों की जान चली जाती है। ज्यादा समस्या पहुंच वीहिन सीमावर्ती क्षेत्रों में रहती है। इसे देखते हुए राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) और बालाघाट (मध्य प्रदेश) के दो जिलों ने मलेरिया के खिलाफ संयुक्त अभियान शुरू किया है। इसके तहत राज्य के दुरस्थ 28 और एमपी के सीमावर्ती 12 गांवों में गुस्र्वार को सुयक्त अभियान चलाया गया। छत्तीसगढ़ में 4545 व एमपी में 1160 लोगों की जांच की गई। इसमें क्रमश: 47 और आठ संक्रमित मिले हैं।
राजनांदगांव कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा की पहल पर दोनों जिलों में यह संयुक्त अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान संक्रमित पाए गए सभी मरीजों की स्थिति सामान्य होने के कारण किसी को भी हास्पिटल भेजने की आवश्यकता नहीं हुई। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उन्हें दवा और बचाव के उपाय बताने के साथ ही साथ ही घरों में कीटनाशक का छिड़काव किया है।
मलेरिया के खिलाफ इस अभियान की जिम्मेदारी राजनांदगांव के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डा. मिथलेश चौधरी और बालाघाट के डा. मनोज पाण्डे को सौंपी गई है। राजनांदगांव कलेक्टर सिन्हा ने बताया कि इस अभियान तहत स्वास्थ्य विभाग का सर्वे दल खैरागढ़ विकासखंड के 17 और छुईखदान के सात गांवों में पहुंचा। वहीं, मध्यप्रदेश के सीमा क्षेत्र विकासखंड लाजी के तीन बिरसा के 11 ग्रामों में से 12 में मलेरिया मास स्क्रीनिंग की गई है।
कई
किलो
मीटर
का
पैदल
सफर
कर
पहुंची
टीम
राजनांदगांव
के
स्वास्थ्य
विभाग
के
अफसरों
ने
बताया
कि
कई
गांवों
पूरी
तरह
पहुंच
वीहिन
हैं।
वहां
तक
किसी
भी
तरह
के
वाहन
से
पहुंचा
नहीं
जा
सकता।
ऐसे
गांवों
तक
जाने
के
लिए
स्वास्थ्य
कार्यकर्ताओं
को
कई
किलोमीटर
पैदल
चलना
पड़ा।
बारिश
की
वजह
से
भी
सर्वे
टीमों
को
पहुंचने
में
समस्या
का
सामना
करना
पड़ा।