जल स्तर में गिरावट पर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने लिया संज्ञान, अफसरों को दिए जलाशयों के सर्वे के निर्देश
देहरादून। बारिश और बर्फबारी में कमी के साथ ही तापमान में बढ़ोतरी का असर उत्तराखंड में स्थित जलाशयों पर दिखने लगा है। इनके जल स्तर में गिरावट की बातें सामने आने के बाद सरकार चौकन्ना हो गई है। इसे देखते हुए सभी जलाशयों का सर्वे कराया जा रहा है। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने विभागीय अधिकारियों को इसके निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड में पिछले साल अक्टूबर से अब तक बारिश औसत से भी काफी रही है। ऐसी ही स्थिति बर्फबारी की भी है। बारिश और बर्फबारी कम होने का ही नतीजा है कि जंगलों में नमी घटने से आग तेजी से धधक रही है। यही नहीं, तमाम नदियों में पानी का स्तर कम हुआ है तो जलाशय भी इससे अछूते नहीं हैं। फिर चाहे वह टिहरी बांध परियोजना की झील हो अथवा सरोवरनगरी नैनीताल की झील या फिर प्रदेश में स्थित दूसरे जलाशय, सभी जगह जल स्तर में गिरावट की बातें सामने आ रही हैं।
सिंचाईं मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार उनके संज्ञान में भी यह बातें आई हैं। इसे देखते हुए सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द सर्वे कराकर राज्य के सभी जलाशयों के संबंध में रिपोर्ट दें। साथ ही जलाशयों में पानी का स्तर कम होने के कारणों का भी पता लगाने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट मिलने के बाद ही जलाशयों को लेकर सही तस्वीर सामने आ सकेगी। जरूरत पड़ी तो उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के माध्यम से भी सर्वे कराया जाएगा।
ग्लेशियरों
का
चल
रहा
सर्वे
सिंचाई
मंत्री
महाराज
के
अनुसार
चमोली
के
रैणी
में
आई
आपदा
के
बाद
राज्य
में
ग्लेशियरों
का
यूसैक
के
माध्यम
से
सर्वे
कराया
जा
रहा
है।
इसमें
यह
पता
चल
सकेगा
कि
ग्लेशियरों
की
स्थिति
क्या
है,
कहां-कहां
छोटी-छोटी
झीलें
बनी
हैं,
कहीं
इनसे
कोई
खतरा
तो
नहीं।
उन्होंने
कहा
कि
यूसैक
से
सर्वे
रिपोर्ट
मिलने
के
बाद
ग्लेशियरों
के
सिलसिले
में
भी
प्रभावी
कदम
उठाए
जाएंगे।
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