केंद्र सरकार ने इतना बड़ा वैक्सीन घोटाला नहीं किया होता तो, इतने सारे युवाओं की जान बच जाती: आतिशी
नई दिल्ली, मई 28। आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं विधायक आतिशी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 'आपदा में अवसर' का उपदेश दिया था और केंद्र सरकार ने घोटाला करने के लिए कोविड वैक्सीनेशन अभियान में ही 'अवसर' तलाश लिया। भारत बायोटेक और सिरम इंस्टीट्यूट को लाभ पहुंचाने के लिए केवल निजी अस्पतालों को वैक्सीन की आपूर्ति की जा रही है। इस वैक्सीन घोटाले के लिए केंद्र जवाबदेह है। निजी अस्पताल लोगों को 1000-1350 रुपए लेकर वैक्सीन लगा रहे हैं, जबकि राज्य सरकारों को निःशुल्क वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीन की जानबूझ कर कमी पैदा की गई है, क्योंकि केंद्र ने फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन जैसे अन्य वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी, जिन्हें डब्ल्यूएचओ समेत कई देशों ने मंजूरी दी है। केंद्र सरकार ने इतना बड़ा वैक्सीन घोटाला नहीं किया होता तो, इतने सारे युवाओं की जान बच जाती। केंद्र को जवाब देना चाहिए कि इन दोनों कंपनियों से उसकी क्या सांठगांठ है, जिसके चलते केंद्र सरकार दोनों कंपनियों की तरफदारी कर रही है।
वैक्सीन न मिलने की वजह से दिल्ली में पांच दिन से वैक्सीनेशन बंद है, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में धड़ल्ले से वैक्सीनेशन हो रहा है
आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं विधायक आतिशी ने आज डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आज पांच दिन से दिल्ली में युवाओं के लिए वैक्सीनेशन बिल्कुल बंद है। दिल्ली में जो सरकारी वैक्सीनेशन की प्रक्रिया सरकारी स्कूलों में चल रही थी, उस प्रक्रिया के तहत आज एक भी स्कूल में वैक्सीन नहीं लग रही है। यह सिर्फ दिल्ली की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे देश भर में देखें तो युवाओं के लिए वैक्सीनेशन हर जगह बंद है। वहीं, हम एक तरफ देख रहे हैं कि दिल्ली और पूरे देश भर में सरकारी केंद्रों में वैक्सीनेशन बिल्कुल बंद है और दूसरी तरफ देखें तो प्राइवेट अस्पतालों में धड़ल्ले से वैक्सीनेशन चल रहा है। आज के दिन अगर आप कोविड-19 एप पर किसी भी जिले में चल रहे वैक्सीनेशन को देखें, तो आपको अलग वैक्सीनेशन साइट्स दिखाई देती हैं। उसमें सिर्फ और सिर्फ प्राइवेट अस्पतालों में ही वैक्सीनेशन हो रहा है और बहुत धड़ल्ले से हो रहा है। एप के अनुसार, एक प्राइवेट अस्पतालों में 900, दूसरे में 1250, तीसरे में 1350, चैथे में 1250, पांचवें में 1200 और छठें में 1250 रुपए वैक्सीन की प्रति डोज पर लिया जा रहा है।
प्राइवेट अस्पतालों में 1200, 1300 और 1350 रुपए में वैक्सीन की एक डोज लग रही है, ऐसे में एक परिवार को 10-15 हजार का खर्च करने होंगे
आतिशी ने आगे कहा कि हमारे देश में वैक्सीन को लेकर बहुत बड़ा चोटाला हो रहा है। दिल्ली में और पूरे देश में जहां सरकारी केंद्रों पर फ्री में युवाओं का वैक्सीनेशन किया जा रहा था, वहां पर वैक्सीनेशन बंद है। क्योंकि वैक्सीन की कंपनियां राज्य सरकारों को वैक्सीन नहीं दे रही हैं। वहीं, दूसरी ओर, प्राइवेट अस्पताल, जो महंगे-महंगे दाम पर युवाओं को वैक्सीन लगा रहे हैं, वहां पर धड़ल्ले से वैक्सीनेशन चल रहा है। वहां पर वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। कई अस्पतालों में औसतन एक हजार रुपए प्रति डोज लिए जा रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों में 1200, 1300 और 1350 रुपए में वैक्सीन की एक डोज लग रही है। इसका यह मतलब है कि अगर परिवार में 5 सदस्य हैं और हर व्यक्ति को वैक्सीन की दो डोज लगती हैं, तो 10 से 15 हजार रुपए का एक परिवार का वैक्सीनेशन का खर्चा है।
प्रधानमंत्री कहते हैं कि हर अपदा में एक अवसर है, तो क्या केंद्र सरकार ने यह अवसर निकाला है?
उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार से पूछना चाहते हैं कि यह कैसा घोटाला है? हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हर अपदा में एक अवसर है। क्या केंद्र सरकार ने यह अवसर निकाला है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश भारत में करोड़ों लोग इस बीमारी से संक्रमित हो गए, जहां पर लाखों लोगों की जान चली गई। जहां पर आम नागरिक, सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं सब सामने आकर एक-दूसरे की मदद कर रही हैं। कोई यह नहीं देख रहा है कि हम सामने वाले को जानते हैं या नहीं जानते हैं, लेकिन उनकी मदद करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, केंद्र सरकार इतना बड़ा घोटाला कर रही है। दोनों कंपनियां यह स्पष्ट तौर पर कहती हैं कि हम वैक्सीन वहीं पर देंगे, जहां पर केंद्र सरकार कहती है और आज के दिन में केवल प्राइवेट अस्पतालों के पास ही वैक्सीन है, तो केंद्र सरकार यह कैसा घोटाला कर रही है। इसका केंद्र सरकार को जवाब देना होगा।
केंद्र सरकार की तरफ से दोनों वैक्सीन कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह कमी पैदा की गई है
आतिशी ने कहा कि दुनिया भर में बहुत सारी वैक्सीन हैं, जो अलग-अलग देशों ने उन्हें अपने यहां मंजूरी दी है। फाइजर की वैक्सीन 85 देशों में मंजूर है। मॉडर्ना की वैक्सीन 46 देशों में मंजूर है। जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन 41 देशों में मंजूर है। यह तीनों वैक्सीन डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित भी है, तो फिर केंद्र सरकार से सवाल है कि इन तीनों वैक्सीन को भारत में आपातकालीन अधिकार क्यों नहीं दिया गया है। डब्ल्यूएचओ मंजूरी दे सकती है, दुनिया भर के देश उन्हें मंजूरी दे सकते हैं, तो भारत सरकार ने उन्हें अनुमति क्यों नहीं दी? इससे यह साफ नजर आता है कि इन दोनों कंपनियों सिरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को लाभ पहुंचाने के लिए यह कृत्रिम कमी पैदा की गई है। दिसंबर 2020 तक देश दुनिया के ज्यादातर देशों ने इन सब वैक्सीन को मंजूरी दे दी थी, लेकिन भारत में मंजूरी नहीं दी।
अगर केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन घोटाला नहीं किया होता, तो हमारा देश कोरोना की दूसरी लहर से बच जाता
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की इन दो वैक्सीन कंपनियों से ऐसी क्या सांठगांठ है कि केंद्र सरकार कहती है कि इन्हीं दो कंपनियों से वैक्सीन लेंगे। जबकि इनके पास वैक्सीन उत्पादन की क्षमता नहीं है। इनके पास देश भर के लोगों को वैक्सीन देने के लिए आज इतनी वैक्सीन बनाने की क्षमता नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार और वैक्सीन को अनुमति नहीं देगी। केंद्र सरकार और वैक्सीन को अनुमति देकर आयात नहीं करेंगी। केंद्र सरकार एक ऐसी बनावटी भय बना रही है कि राज्य सरकारों को भी और प्राइवेट अस्पतालों को भी इन दोनों कंपनियों से ही वैक्सीन खरीदनी है। आज केंद्र सरकार को इस बात का जवाब देना होगा कि इतनी बड़ी महामारी में केंद्र सरकार का यह कैसा वैक्सीनेशन घोटाला है। यह कैसा इन कंपनियों के साथ सांठगांठ है। यह कैसा प्राइवेट अस्पतालों के साथ सांठगांठ है कि भाजपा और उसकी केंद्र सरकार इन कंपनियों से और प्राइवेट अस्पतालों से पैसा बनाने में लगी हुई हैं। जबकि देश की जनता को अगर वैक्सीन मिल जाता तो, वह इस दूसरी लहर से बच जाती। हमारे देश के युवाओं की जो हमने इतनी मौतें देखी है, हमने जो श्मशान घाट और कब्रिस्तानों के जो दिल दहला देने वाले दृश्य देखे हैं, अगर केंद्र सरकार ने यह वैक्सीनेशन घोटाला नहीं किया होता, तो हमारा देश कोरोना की दूसरी लहर से बच जाता।