गाजियाबाद नगर निगम का बॉन्ड BSE में हुआ सूचीबद्ध, बना देश का पहला ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड
गाजियाबाद नगर निगम का बॉन्ड BSE में हुआ सूचीबद्ध, बना देश का पहला ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड
लखनऊ। स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रदेश की योगी सरकार ने शहरों तस्वीर बदलने का काम शुरू कर दिया है। म्युनिसिपल बॉन्ड के जरिए प्रदेश के नगर निगम शहरों की तस्वीर बदलने में जुट गए हैं। नगर निगम लखनऊ के बाद गाजियाबाद नगर निगम ने भारत में अपने पहले ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड के जरिए अब तक 150 करोड़ रुपए जुटाए हैं। गाजियाबाद नगर निगम का म्युनिस्पिल बॉन्ड गुरूवार को बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो गया है।
बॉन्ड के जरिए जुटाई गई रकम से साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र में सीवरेज को शोधित कर उन्हें उद्योगों को सप्लाई किया जाएगा। इस परियोजना पर 240 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा बनारस, आगरा और कानपुर नगर निगम भी जल्दी अपना म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने की तैयारी में है।
निवेशकों
को
है
यूपी
सरकार
पर
भरोसा
उत्तर
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
ने
कहा,
'यूपी
के
लिए
गर्व
की
बात
है
कि
गाजियाबाद
नगर
निगम
ने
बीएसई
प्लेटफॉर्म
पर
सूचीबद्ध
होने
के
बाद
अपने
ग्रीन
बांड
के
जरिए
150
करोड़
रुपए
जुटाए।'
यह
उन
निवेशकों
का
उनके
प्रति
विश्वास
है,
जिसे
यूपी
सरकार
ने
पिछले
चार
वर्षों
के
शासन
के
दौरान
अर्जित
किया
है।
इससे
शहरी
क्षेत्रों
के
बुनियादी
ढांचे
में
बदलाव
देखने
को
मिलेगा।
यह
राज्य
की
औद्योगिक
जलवायु
में
सुधार
और
निवेशकों
द्वारा
राज्य
मशीनरी
में
भरोसा
किए
जाने
की
बदौलत
संभव
हुआ
है।
40
कंपनियों
ने
दिखाई
बॉन्ड
खरीदने
में
दिलचस्पी
गाजियाबाद
नगर
निगम
के
150
करोड़
रुपए
के
म्युनिसिपल
बॉन्ड
के
सापेक्ष
बीएसई
(बॉम्बे
स्टॉक
एक्सचेंज)
के
ऑनलाइन
प्लेटफार्म
पर
401
करोड़
की
बोली
लगी।
बीएसई
में
लिस्टेड
40
कंपनियों
ने
निगम
के
बॉन्ड
खरीदने
में
दिलचस्पी
दिखाई
है।
हालांकि
निगम
सिर्फ
150
करोड़
रुपए
ही
बाजार
से
लेगा।
म्युनिसिपल
बॉन्ड
के
जरिए
जुटने
वाली
150
करोड़
की
रकम
को
टर्सियरी
सीवेज
ट्रीटमेंट
प्लांट
(टीएसटीपी)
की
परियोजना
पर
खर्च
किया
जाएगा।
नगर
निगम
सीवर
के
अशुद्ध
जल
को
साफ
करके
उसे
साहिबाबाद
की
औद्योगिक
इकाइयों
को
प्रयोग
के
लिए
पुनः
बेंचेगा।
इसके
तहत
इंदिरापुरम
में
एक
टीएसटीपी
का
निर्माण
होगा।
240
करोड़
की
इस
परियोजना
की
150
करोड़
की
रकम
ग्रीन
म्युनिसिपल
बॉन्ड
से
और
बकाया
90
करोड़
की
रकम
अवस्थापना
निधि
से
खर्च
की
जाएगी।
इस
योजना
से
भूजल
का
अंधाधुंध
दोहन
रुकेगा
साथ
ही
जल
प्रदूषण
में
भी
कमी
आएगी।
गौरतलब है कि ग्रीन बॉन्ड अपने आप में सबसे अनूठा बॉन्ड है। इस बॉन्ड से जुटाई गई रकम को संस्था, सरकारी समूह या कारपोरेट्स समूह पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी परियोजनाओं के लिए खर्च करते हैं। गाजियाबाद नगर निगम की ओर से जारी 150 करोड़ का ग्रीन बॉन्ड वॉटर रिसायकल आधारित परियोजना के लिए जारी किया गया है।
म्युनिसिपल
बांड
बदलेंगे
शहरों
की
तस्वीर
2
दिसंबर
2020
को
लखनऊ
नगर
निगम
ने
भी
प्रदेश
की
राजधानी
को
स्मार्ट
बनाने
के
लिए
200
करोड़
रुपए
का
बॉन्ड
जारी
किया
था।
कोविड
आपदा
के
कालखंड
में
भी
निवेशकों
ने
योगी
सरकार
पर
भरोसा
जताया
और
एलएमसी
बॉन्ड
को
बाम्बे
स्टॉक
एक्सचेंज
में
हाथों
हाथ
लिया
गया।
नतीजन
एलएमसी
का
बांड
225
फीसदी
से
अधिक
सब्सक्राइब
हुआ
है।
बीएसई
में
लिस्टिंग
समारोह
में
रिंगिंग
बेल
सेरेमनी
में
खुद
सीएम
योगी
ने
परंपरानुसार
बेल
बजाकर
लखनऊ
नगर
निगम
का
म्युनिसिपल
बॉन्ड
जारी
किया
था।
लखनऊ
नगर
निगम
की
सफलता
को
देखने
के
बाद
आगरा,
बनारस,
कानपुर
भी
म्युनिसिपल
बांड
जारी
कर
अपने
शहरों
में
सफाई
व
विकास
का
नया
खाका
खींचने
की
तैयारी
में
जुट
गए
हैं।
वित्तीय
अनुशासन
लागू
करने
में
मिलेगी
मदद
गाजियाबाद
नगर
निगम
के
नगर
आयुक्त
एमएस
तवर
ने
कहा
कि
म्युनिस्पिल
बांड
के
जरिए
पंजी
जुटाने
में
से
वित्तीय
अनुशासन
लागू
होगा।
इससे
नगर
निगम
को
भविष्य
में
फंड
जुटाने
में
भी
मदद
मिलेगी।
देश
के
किसी
भी
नगर
निगम
द्वारा
जारी
किया
गया
पहला
ग्रीन
बांड
है।
बीएसई
में
लिस्टिंग
के
साथ
ही
बांड
में
तेजी
से
उछाल
आया
है।
बाम्बे
स्टॉक
एक्सचेंज
के
एमडी
व
सीईओ
आशीष
कुमार
चौहान
ने
कहा
कि
बीएसई
में
लिस्ट
होने
के
बाद
गाजियाबाद
बांड
ने
150
करोड़
रुपए
जुटा
लिए
,
जो
यह
साबित
करता
है
कि
लोगों
को
उस
पर
काफी
भरोसा
है।
उन्होंने
कहा
कि
ग्रीन
बांड
की
बाजार
में
काफी
संभावनाएं
है।
इसका
पूरा
श्रेय
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
और
उनकी
टीम
को
जाता
है।