इस तकनीक से करें अब धान की खेती, सरकार देगी 12,500 रुपये तक की आर्थिक मदद
चंडीगढ़। हरियाणा प्रदेश में धान की बुवाई शुरू हो चुकी है। ज्यादातर जगहों पर इसकी पौध लगाने के 21-22 दिन बाद रोपाई हो रही है, लेकिन इसकी एक और विधि सीधी बुवाई की भी है। इसके लिए सरकार आर्थिक मदद भी कर रही है। प्रमुख धान उत्पादक राज्य हरियाणा में डीएसआर तकनीक को प्रमोट कर रही है। इसके लिए अगर कोई किसान अपने खेत में डीएसआर टेक्निक का प्रदर्शन करेगा तो उसे 5000 से लेकर 12500 रुपये तक की मदद मिल सकती है।
दरअसल, इस तकनीक से धान की खेती करने पर पानी, पैसा और समय की बचत होती है। हरियाणा जल संकट से जूझ रहा है। ऐसे में वो धान की खेती के इस तरीके को प्रमोट करना चाहती है। सरकार ने 20 हजार एकड़ में ऐसी खेती का प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। प्रति एक एकड़ खेत प्रदर्शन पर 5000 रुपये मिलेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि रोपाई की बजाय यदि किसान सीधी बिजाई करें तो इसका फायदा अधिक मिलेगा।
क्या
है
डीएसआर
तकनीक?
यह
नर्सरी
से
रोपाई
के
बजाय
सीधे
खेत
में
बीज
द्वारा
फसल
बुआई
की
एक
विधि
है.
भारतीय
कृषि
अनुसंधान
संस्थान
(IARI)
पूसा
के
निदेशक
डॉ.
अशोक
कुमार
सिंह
के
मुताबिक
पंजाब
में
किसानों
ने
धान
की
15
फीसदी
सीधी
बिजाई
की
थी.
चार-पांच
फीसदी
हरियाणा
में
भी
ऐसा
हुआ
था.
धान
की
सीधी
बुवाई
में
खेत
की
बार-बार
जुताई
नहीं
करनी
पड़ती.
जिससे
सूक्ष्मजीवों
को
लाभ
पहुंचता
है.
धान
की
सीधी
बुवाई
के
लिए
खेत
का
समतल
होना
जरूरी
है.
धान
की
सीधी
बिजाई
के
लाभ
-प्रति
एकड़
6
किलो
बीज
दोनों
पद्धतियों
में
लगता
है.
-रोपाई
के
पैसे
की
बचत
होगी.
-ट्रैक्टर
से
लेव
करवाने
की
जरूरत
नहीं
है.
-पानी
की
20
से
35
फीसदी
तक
की
बचत
होगी.
-डीजल
की
महंगाई
की
वजह
से
सिंचाई
पहले
ही
काफी
महंगी
हो
चुकी
है.
-पौध
डालने
की
झंझट
नहीं
है.
नर्सरी
उगाने
का
खर्च
बचता
है.
देश का पहला आयुष विश्वविद्यालय हरियाणा में खुला, CM बोले- अब यहां 407 आयुष औषधालयों में वेलनैस सेंटर
इन
जिलों
के
किसानों
को
मिलेगी
मदद
हरियाणा
के
अंबाला,
यमुनानगर,
करनाल,
कुरुक्षेत्र,
कैथल,
पानीपत,
सोनीपत
एवं
जींद
जिलों
में
ऐसी
खेती
को
बढ़ावा
देने
का
प्लान
बनाया
गया
है.
आर्थिक
लाभ
लेने
के
लिए
मेरी
फसल
मेरा
ब्यौरा
पोर्टल
पर
10
जुलाई
तक
रजिस्ट्रेशन
करवा
सकते
हैं.
इस
पर
बताना
होगा
कि
आप
कितने
खेत
में
डीएसआर
तकनीक
से
धान
की
बिजाई
कर
रहे
हैं.