योगी सरकार के कार्यकाल में तेजी से आगे बढ़ा कृषि सेक्टर, चार साल में उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि
लखनऊ। योगी सरकार के कार्यकाल में कृषि सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है। चार साल में कृषि उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। वर्ष 2016-17 में जहां प्रदेश का कुल कृषि उत्पादन 557.46 लाख मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 624.19 लाख मीट्रिक टन पर पहुंच चुका है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में विभिन्न जिंसों की एमएसपी पर खरीद पर 66 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। बेहतर सिंचाई सुविधाएं भी कृषि सेक्टर को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
वहीं, वर्ष 2014-15 से तुलना करें तो कृषि क्षेत्र में और भी ज्यादा प्रगति दिखेगी। वर्ष 2014-15 में कुल कृषि उत्पादन 389.28 लाख मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2020-21 में 624.19 लाख मीट्रिक टन पर पहुंच गया है। इसी अवधि में मक्का का उत्पादन 12.75 लाख मीट्रिक टन से 16.36 लाख मीट्रिक टन, गेहूं का उत्पादन 203.65 लाख से 375.53 लाख मीट्रिक टन, गन्ना का 1389.02 लाख से 2203 लाख और धान का उत्पादन 138.40 लाख से 171.36 लाख मीट्रिक टन हो गया। यह अब तक का रिकॉर्ड धान उत्पादन है।
पिछले 4 वर्ष में गन्ना किसानों को 1.25 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। जबकि, उससे पहले के 5 वर्ष (2012-17) में गन्ना किसानों को कुल 95 हजार करोड़ का भुगतान ही हुआ था। इतना ही नहीं 36000 करोड़ रुपये से 86 लाख किसानों का ऋण माफ किया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत 2.42 करोड़ किसानों के खातों में 27134 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। यह किसान कल्याण मिशन की सरकार की नीति के तहत है। एमएसपी में लगभग दो गुना तक की वृद्धि की गई है। 66000 करोड़ रुपये से 378 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न की खरीद की गई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 2 करोड़ 5 लाख किसान बीमित हो चुकेहैं। इनमें से 21 लाख 64 हजार किसानों को 1910 करोड़ रुपये बतौर क्षतिपूर्ति दिए गए हैं। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के तहत खातेदार, सह खातेदार, किसान परिवारों के कमाऊ सदस्य और पट्टेदार-बटाईदार को भी योजना का लाभ मिल रहा है। सरकार ने 3 लाख 58 हजार करोड़ का फसल ऋण वितरण किया है। रमाला, पिपराइच, मुंडेरवा चीनी मिलों समेत 20 चीनी मिलों का आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण वर्तमान सरकार ने कराया है। निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों में 5 लाख 50 हजार गोवंश संरक्षित किए गए हैं। गोवंश रखने पर प्रति गोवंश प्रति माह 900 रुपये की सहायता दी जा रही है। 46 वर्षों से लंबित बाण सागर परियोजना इसी सरकार में पूर्ण हुई है।
वर्ष 2014-17 के बीच प्रदेश में 1 कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित हुआ था, जबकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 20 कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया। इनमें से 15 क्रियाशील हो चुके हैं। इसी तरह से मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की संख्या भी 43 से बढ़कर 254 हो गई है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड से कुल लाभांवित किसानों की संख्या 3.75 करोड़ है। ई-नाम मंडियों से लगातार किसानों और व्यवसाइयों को जोड़ा जा रहा है।
वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 11 बड़ी सिंचाई परियोजनाओं पूर्ण हो चुकी हैं। इनकी कुल लागत 4504.79 करोड़ रुपये है। इनसे 2.36 लाख किसान लाभांवित हुए हैं और 2.21 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता में वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं वित्त वर्ष 2020-21 में 15 परियोजनाएं पूरी करने का लक्ष्य है। इनकी कुल लागत 20990.11 करोड़ रुपये है। 45.06 लाख किसान लाभांवित होंगे। 18.14 लाख अतिरिक्त सिंचन क्षमता पैदा होगी। इसके अलावा पिछली सरकार में 265 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गई थीं, जबकि इस सरकार के कार्यकाल में 480 बाढ़ परियोजनाओं के सापेक्ष 482 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
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