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पी पी चौधरी

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पी पी चौधरी कानून,न्याय और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री हैं। इससे पहले, चौधरी लाभ के पदों संबंधी संयुक्‍त संसदीय समिति के अध्यक्ष थे और अधीनस्थ विधान संबंधी समिति और कार्मिक लाेक शिकायत, विधि और न्‍याय संबंधी स्‍थायी समिति के सदस्य भी थे। वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य हैं और उन्होंने पाली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2014 के आम चुनावों में जीत हासिल की, जिसमें 4,00,000 से अधिक वोटों के अंतर से विजय प्राप्त हुई।. .

पी पी चौधरी जीवनी

पी पी चौधरी कानून,न्याय और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री हैं। इससे पहले, चौधरी लाभ के पदों संबंधी संयुक्‍त संसदीय समिति के अध्यक्ष थे और अधीनस्थ विधान संबंधी समिति और कार्मिक लाेक शिकायत, विधि और न्‍याय संबंधी स्‍थायी समिति के सदस्य भी थे। वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य हैं और उन्होंने पाली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2014 के आम चुनावों में जीत हासिल की, जिसमें 4,00,000 से अधिक वोटों के अंतर से विजय प्राप्त हुई।

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By Zainab Ashraf Updated: Monday, December 31, 2018, 04:54:43 PM [IST]

पी पी चौधरी निजी जीवन

पूरा नाम पी पी चौधरी
जन्म तिथि 12 Jul 1953 (उम्र 70)
जन्म स्थान भावी, जिला जोधपुर (राजस्‍थान)
पार्टी का नाम Bharatiya Janta Party
शिक्षा Graduate Professional
व्यवसाय वरिष्ठ वकील - सुप्रीम कोर्ट
पिता का नाम श्री प्रभु राम चौधरी
माता का नाम श्रीमती धाकु देवी
धर्म हिंदू
वेबसाइट [email protected]
सोशल सोशल:

पी पी चौधरी शुद्ध संपत्ति

शुद्ध संपत्ति: ₹37.78 CRORE
सम्पत्ति:₹38.51 CRORE
उत्तरदायित्व: ₹72.78 LAKHS

पी पी चौधरी के बारे में रोचक जानकारी

राजस्थान राज्य में किसानों के लिये सक्रिय रूप से कार्य किया। विभिन्नं सिंचाई परियोजनाओं से संबंधित किसानों के कई मामलों को उठाया। जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे है।

पी पी चौधरी का राजनीतिक जीवन

2014
  • राजस्थान के पाली निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के मुन्नी देवी गोदारा को हराकर पी पी चौधरी 16 वीं लोक सभा के लिए चुने गए।
29 Jan. 2015 - 5 July 2016
  • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर सलाहकार समिति ( वित्त मंत्रालय ) के सदस्य चुने गए।
29 Jan. 2015 - 5 July 2016
  • सामान्‍य प्रयोजनों संबंधी समिति लोक सभा के सदस्य
25 April 2016 - 5 July 2016
  • अध्यक्ष, फेलोशिप कमेटी, लोकसभा
23 Dec. 2015 - 5 July 2016
  • दिवाला और शोध अक्षमता संहिता संबंधी संयुक्‍त समिति के सदस्य चुने गए।
13 May 2015 - 5 July 2016
  • भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्स्‍थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार (दूसरा संशोधन ) विधेयक, 2015 पर संयुक्त समिति के सदस्य चुने गए।
11 May 2016 - 5 July 2016
  • सुरक्षा ब्याज के प्रवर्तन और ऋण कानून और विविध प्रावधान (संशोधन) विधेयक, 2016 की वसूली पर संयुक्त समिति के सदस्य नियुक्त किए गए।
11 Sept. 2015 - 5 July 2016
  • सदस्य, अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी समिति, संसदीय एसोसिएशन, लंदन, यू.के. ( संघ्‍ा शाखा भारत की संसद)
11 Dec. 2014 - 5 July 2016
  • वित्‍त और कारपोरेट कार्य मंत्रालय के तहत परामर्श समिति के सदस्य नियुक्त हुए।
11 Dec. 2014 - 5 July 2016
  • लाभ के पदों संबंधी संयुक्‍त संसदीय समिति के सदस्य चुने गए।
5 July 2016 - 3 Sept. 2017
  • केन्द्रीय राज्य मंत्री, विधि एवं न्याय तथा इलेक्ट्रोनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
3 Sept. 2017
  • केंद्रीय मंत्री, कानून और न्याय मंत्रालय और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय
1 Sep. 2014 - 5 July 2016
  • अधीनस्थ विधान संबंधी समिति के सदस्य चुने गए।
1 Sep. 2014 - 5 July 2016
  • कार्मिक लाेक शिकायत, विधि और न्‍याय संबंधी स्‍थायी समिति के सदस्य चुने गए।

पी पी चौधरी की उपलब्धिया‍ँ

लंदन की संसद में मानवीय अधिकार संबंधी अंतर्राष्‍ट्रीय संसदीय सम्‍मेलन में (2-6 फरवरी 2015) भारतीय शिष्‍टमण्‍डल के तौर पर भाग लिया। भारत की संसद के प्रतिनिधि के रुप में कार्यकारिणी समिति, और आम सभा की बैठकों, राष्‍ट्रमंडल संसदीय संघ, लंदन, यूके में ( 30 सितम्‍बर-6 अक्‍टूबर 2015) भाग लिया और तीन वर्ष के लिए अंतराष्‍ट्रीय कार्यकारिणी समिति, राष्‍ट्रमंडल संसदीय संघ लंदन, यूके ( संघ्‍ा शाखा -भारत की संसद) के सदस्‍य चुने गये। उन्होंने 27-29 अप्रैल, 2016 को राष्ट्रमंडल संसदीय संघ, लंदन, यूके (भारत की प्रतिनिधि शाखा-संसद) की अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी समिति में भाग लिया। सीपीए की दोनों बैठकों में, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारतीय दृष्टिकोण को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया। उन्होंने अपनी स्वयं की संसदीय वेतन और आय (सितंबर 2015) से, पाली लोकसभा की 1,31,175 (एक लाख तीस हजार एक सौ सत्तर पांच) महिलाओं के लिए बीमा कवर प्रदान किया। अनुभव का क्षेत्र: विगत 38 वर्षों में लगभग 11000 (ग्‍यारह हजार) मामलों को देखा जिनमें से ज्‍यादातर संवैधानिक मुकदमे थे। मामलों का संबंध निम्‍नलिखित से था-(1) भूमि अधिग्रहण (२) किसानों की समस्‍याएं (3) श्रम और सेवा (4) क्रेन्‍दिय उत्‍पाद और सीमा शुल्‍क (5) जनहित याचिकाएं- प्राकृतकि जल क्षेत्रों और बांधों को पुर्नजीवित करने से संबंधित।

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