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मेनका संजय गांधी

मेनका संजय गांधी

मेनका संजय गांधी

'गांधी परिवार की विद्रोही' के रूप में मानी जाने वाली मेनका गांधी दिग्गज राजनेत्रियों में से एक हैं। असल में वो राजनीति में नहीं आना चाहती थीं, लेकिन परिस्थितियों ने उन्‍हें राजनीति का हिस्‍सा बनने के लिये मजबूर कर दिया। 1982 में अपने पति संजय गांधी की मृत्यु के बाद राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा आयोजित रैलियों में भाग लेने और राजीव गांधी के लिए तैयार की गई सत्ता हासिल करने की कोशिश करने के लिए उन्हें अपनी सास, भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घर से बाहर कर दिया गया था। फिर भी, बाधाओं के बावजूद वे खुद के लिए एक मार्ग प्रशस्त करने में दृढ़ रहीं। मेनका ने अपने बेटे फिरोज वरुण गांधी के साथ गांधी परिवार की वंशवादी विचारधारा को छोड़ने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1989 में वे जनता दल में शामिल हो गईं और जनता पार्टी के महासचिव के रूप में 131,224 मतों के अंतर से पीलीभीत से संसद में अपनी जीत का सफल अभियान चलाया, जिसने 1989 में नई गठबंधन सरकार बनाने में मदद की और देश में गांधी के शासनकाल पर रोक लगा दी। एक उदारवादी आदर्शवादी राजनेता मेनका ने पीलीभीत में अपनी पहली जीत के बाद छह लोकसभा चुनावों में सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा। उन्होंने 1998 और 1999 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2004 में उन्होंने अपने बेटे के साथ भाजपा के साथ गठबंधन किया। तब से वे पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र पर मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं और लगातार इस क्षेत्र में चुनाव जीत रही हैं। वे पीलीभीत से सांसद हैं और महिला एवं बाल विकास मंत्री भी।. .

मेनका संजय गांधी जीवनी

'गांधी परिवार की विद्रोही' के रूप में मानी जाने वाली मेनका गांधी दिग्गज राजनेत्रियों में से एक हैं। असल में वो राजनीति में नहीं आना चाहती थीं, लेकिन परिस्थितियों ने उन्‍हें राजनीति का हिस्‍सा बनने के लिये मजबूर कर दिया। 1982 में अपने पति संजय गांधी की मृत्यु के बाद राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा आयोजित रैलियों में भाग लेने और राजीव गांधी के लिए तैयार की गई सत्ता हासिल करने की कोशिश करने के लिए उन्हें अपनी सास, भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घर से बाहर कर दिया गया था। फिर भी, बाधाओं के बावजूद वे खुद के लिए एक मार्ग प्रशस्त करने में दृढ़ रहीं। मेनका ने अपने बेटे फिरोज वरुण गांधी के साथ गांधी परिवार की वंशवादी विचारधारा को छोड़ने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1989 में वे जनता दल में शामिल हो गईं और जनता पार्टी के महासचिव के रूप में 131,224 मतों के अंतर से पीलीभीत से संसद में अपनी जीत का सफल अभियान चलाया, जिसने 1989 में नई गठबंधन सरकार बनाने में मदद की और देश में गांधी के शासनकाल पर रोक लगा दी। एक उदारवादी आदर्शवादी राजनेता मेनका ने पीलीभीत में अपनी पहली जीत के बाद छह लोकसभा चुनावों में सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा। उन्होंने 1998 और 1999 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2004 में उन्होंने अपने बेटे के साथ भाजपा के साथ गठबंधन किया। तब से वे पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र पर मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं और लगातार इस क्षेत्र में चुनाव जीत रही हैं। वे पीलीभीत से सांसद हैं और महिला एवं बाल विकास मंत्री भी।

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By Moumi Majumdar Updated: Wednesday, April 10, 2019, 05:14:19 PM [IST]

मेनका संजय गांधी निजी जीवन

पूरा नाम मेनका संजय गांधी
जन्म तिथि 26 Aug 1956 (उम्र 67)
जन्म स्थान नई दिल्ली
पार्टी का नाम Bharatiya Janta Party
शिक्षा 12th Pass
व्यवसाय लेखक
पिता का नाम स्वर्गीय लेफ्टिनेंट कर्नल टी.एस. आनंद
माता का नाम स्वर्गीय श्रीमती अमतेश्वर आनंद
धर्म सिक्ख
सोशल सोशल:

मेनका संजय गांधी शुद्ध संपत्ति

शुद्ध संपत्ति: ₹54.5 CRORE
सम्पत्ति:₹55.69 CRORE
उत्तरदायित्व: ₹1.19 CRORE

मेनका संजय गांधी के बारे में रोचक जानकारी

मेनका गांधी ने 1984 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश से अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा और 3,14,878 मतों के अंतर से हार गईं। परिवार में कुछ भी रहा हो, लेकिन मेनका गांधी अपनी सास इंदिरा गांधी के प्रति आदर भाव रखती हैं। लेकिन हां अपने देवर राजीव गांधी के प्रति बेहद अवमानना का भाव रखते हुए एक बार उन्‍होंने कहा था, "राजीव गांधी की प्रतिबद्धता हमेशा पैसे की रही। वे इस देश को एक बाजार अथवा एक खिलौने की दुकान के रूप में देखते हैं जहां सामान को उठाया, तोड़ा, खरीदा और बेचा जाता है।"

जब संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई, तब मेनका सिर्फ तेईस साल की थीं और उसका बेटा सिर्फ 100 दिन का था।

मेनका संजय गांधी की उपलब्धिया‍ँ

वे एक पर्यावरणविद् और पशु अधिकार नेता हैं। उन्होंने पशु अधिकारों पर वकालत के लिए प्रशंसा और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार अर्जित किए हैं । 1995 में उन्हें जानवरों पर नियंत्रण और पर्यवेक्षण के प्रयोगों के उद्देश्य से समिति (चेयरमैन)की अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

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