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एम करुणानिधि

एम करुणानिधि

एम करुणानिधि

तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले के एक छोटे से गांव तिरुक्कुवालाई में पैदा हुए करुणानिधि ने अपनी 14 वर्ष की उम्र में सामाजिक आंदोलनों में राजनीति में शामिल होना शुरू कर दिया और पूरी तरह से शमिल हो गए। वे तमिलनाडु में हिंदी भाषा के खिलाफ विभिन्न विरोध प्रदर्शनों के पीछे थे। उन्होंने एक समाचार पत्र शुरू किया जो आखिरकार उनकी राजनीतिक पार्टी का आधिकारिक समाचार पत्र मुरासोली बन गया। पूर्णकालिक राजनेता होने के अलावाए करुणानिधि तमिल सिनेमा पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे थेए और एक पटकथा लेखक के रूप में विभिन्न फिल्मों के माध्यम से द्रविड़ विचारधारा पर अपने विचारों का प्रचार कर रहे थे। उनकी पहली फिल्म श्राजकुमारीश् ;1947द्ध थीए और आखिरी श्पोन्नार शंकरश् (2011) थी। करुणानिधि ने थिरुक्कुर उरई, संगा थैमिज़, कुरलोवियाम, तेनपंदी सिंगम और रोमापुरी पांडियन समेत गद्य और कविता की 100 से अधिक किताबें भी लिखी थीं। उन्होंने विभिन्न नाटकों का भी मंचन किया था जिनमें थुकु मेडाई, मनीमागुडम और नाने अरवली शामिल थे। करुणानिधि ने कन्याकुमारी में स्थित चट्टानों में से एक में 133 फुट की तिरुवल्लुवार मूर्ति बनाई। आयु से संबंधित बीमारी के कारण कई अंग विकृत हो गए करुणानिधि का निधन 07अगस्त, 2018 को 94 वर्ष की उम्र में हुआ।. .

एम करुणानिधि जीवनी

तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले के एक छोटे से गांव तिरुक्कुवालाई में पैदा हुए करुणानिधि ने अपनी 14 वर्ष की उम्र में सामाजिक आंदोलनों में राजनीति में शामिल होना शुरू कर दिया और पूरी तरह से शमिल हो गए। वे तमिलनाडु में हिंदी भाषा के खिलाफ विभिन्न विरोध प्रदर्शनों के पीछे थे। उन्होंने एक समाचार पत्र शुरू किया जो आखिरकार उनकी राजनीतिक पार्टी का आधिकारिक समाचार पत्र मुरासोली बन गया। पूर्णकालिक राजनेता होने के अलावाए करुणानिधि तमिल सिनेमा पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे थेए और एक पटकथा लेखक के रूप में विभिन्न फिल्मों के माध्यम से द्रविड़ विचारधारा पर अपने विचारों का प्रचार कर रहे थे। उनकी पहली फिल्म श्राजकुमारीश् ;1947द्ध थीए और आखिरी श्पोन्नार शंकरश् (2011) थी। करुणानिधि ने थिरुक्कुर उरई, संगा थैमिज़, कुरलोवियाम, तेनपंदी सिंगम और रोमापुरी पांडियन समेत गद्य और कविता की 100 से अधिक किताबें भी लिखी थीं। उन्होंने विभिन्न नाटकों का भी मंचन किया था जिनमें थुकु मेडाई, मनीमागुडम और नाने अरवली शामिल थे। करुणानिधि ने कन्याकुमारी में स्थित चट्टानों में से एक में 133 फुट की तिरुवल्लुवार मूर्ति बनाई। आयु से संबंधित बीमारी के कारण कई अंग विकृत हो गए करुणानिधि का निधन 07अगस्त, 2018 को 94 वर्ष की उम्र में हुआ।

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By Samraj Updated: Tuesday, October 30, 2018, 04:49:59 PM [IST]

एम करुणानिधि निजी जीवन

पूरा नाम एम करुणानिधि
जन्म तिथि 03 Jun 1924
मृत्यु तिथि 07 Aug 2018 (उम्र 94)
जन्म स्थान तिरुक्कुवलई, थिरुवरुर के पास, भारत
पार्टी का नाम Dravida Munetra Kazhagam
शिक्षा 8th Pass
व्यवसाय लेखक, राजनीतिज्ञ
पिता का नाम मुथुवेलु
माता का नाम अंजुगम
सोशल सोशल:

एम करुणानिधि शुद्ध संपत्ति

शुद्ध संपत्ति: ₹51.05 CRORE
सम्पत्ति:₹62.99 CRORE
उत्तरदायित्व: ₹11.94 CRORE

एम करुणानिधि के बारे में रोचक जानकारी

स्कूल में पढ़ाई करने के बजायए करुणानिधि संगीतए लेखन और सक्रियता में अधिक रुचि रखते थे और सक्रिय थे। वे अपनी स्कूली शिक्षा के अंतिम वर्ष में तीन बार विफल होने के बाद पढ़ाई छोड़ दी। करुणानिधि ने तीन बार शादी की। उनकी पत्नियों के नाम पद्मवथीए दयालु अम्मल और राजथी अम्मल हैं। मुथु करुणानिधि के पहले बेटे थे जो पद्मावती से पैदा हुए थे। दयालु अम्मल से करुणानिधि के तीन बेटे थे-अलगिरी, स्टेलिन, और तमिलरसु - और एक बेटी सेल्वी। राजथी अम्मल से करुणानिधि की एक बेटी कनिमोझी थी। करुणानिधि एक सफल पटकथा लेखक के रूप में सामने आए और अपनी बुद्धि और व्याख्यात्मक कौशल के माध्यम से एक लोकप्रिय राजनेता के रूप में उभरे।

एम करुणानिधि का राजनीतिक जीवन

2006
  • करुणानिधि ने पांचवीं बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली
1996
  • करुणानिधि चौथी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने।
1989
  • तीसरी बार, करुणानिधि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने।
1971
  • करुणानिधि ने दूसरी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।
1969
  • "करुणानिधि पहली बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। वे द्रमुक के अध्यक्ष भी बने।"
1967
  • करणानिधि को तमिलनाडु सरकार के लोक निर्माण विभाग में मंत्री पद दिया गया।
1962
  • तमिलनाडु विधानसभा में करुणानिधि विपक्ष के उप नेता बने।
1961
  • करुणानिधि को द्रमुक के कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
1957
  • करुणानिधि ने कुलिथालाई निर्वाचन क्षेत्र से तमिलनाडु विधानसभा में प्रवेश किया।

पूर्व इतिहास

1924
  • करुणानिधि के जन्म का नाम दक्षिणामूर्ती था। उनकी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा तिरुकुवालाई और बाद में तिरुवरार में हुई। किशोरावस्था में करुणानिधि विभिन्न तमिल नेताओं के बारे में राजनीतिक लेखन करते थे। उन्होंने मानव नेसन नामक एक पत्रिका शुरू की जिसे जानबूझ कर मुरासोली नामक दैनिक समाचार पत्र के रूप में बदल दिया गया।

एम करुणानिधि की उपलब्धिया‍ँ

"करुणानिधि लगभग 50 वर्षों तक राजनीतिक दल द्रविड़ मुनेत्र कझागम (द्रमुक) के अध्यक्ष रहे।
वे चार दशकों में पांच कार्यकालों के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे।
उन्होंने 1957 से विधानसभा चुनावों में 13 बार चुनाव लड़ाए और किसी ने भी कभी पराजित नहीं हुए।
करुणानिधि को दो बार डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया गयाए पहले 1971 में और फिर 2006 में।
उन्हें तमिल विश्वविद्यालय द्वारा उनकी तत्कालीन सिंगम पुस्तक के लिए "राजा राजन पुरस्कार" भी दिया गया।

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