आगामी विधानसभा चुनावों पर क्या होगा राहुल के CWC मेकओवर का असर?
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष बनने के सात महीने बाद राहुल गांधी ने CWC का जो पुनर्गठन किया है, उसे आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में भी देखा जा रहा है। नवंबर-दिसंबर में तीन महत्वपूर्ण राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव होने हैं और इन तीनों राज्यों में कांग्रेस के प्रदर्शन से ही आगामी लोकसभा चुनाव का खाका तैयार होगा। ये चुनाव ही तय करेंगे कि राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी, मोदी-अमित शाह के नेतृत्व वाली बीजेपी को चुनौती देने की स्थिति में है भी या नहीं। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस के पक्ष में ये बात जरूर है कि दो राज्यों मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में करीब 15 साल से और राजस्थान में पांच साल से भाजपा सरकार में है। ऐसे में इन तीनों राज्यों में भाजपा सरकारों को सत्ताविरोधी लहर को थामना भी अपने आप में एक और चुनौती है। पुर्नगठित CWC में बदलाव क्या कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में फायदा दिला पाएंगे?
मध्य प्रदेश में दो दिग्गजों को CWC से बाहर का रास्ता
मध्यप्रदेश के संदर्भ में देखें तो दो पुराने दिग्गज नेताओं दिग्विजय सिंह और कमलनाथ को राहुल गांधी ने CWC से बाहर का रास्ता दिखा दिया है जबकि उनकी जगह पर दो युवा नेताओं ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरुण यादव को जगह दी गई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश चुनाव के लिए प्रचार अभियान की कमान संभाल रहे हैं। एमपी के प्रमुख नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया ही एक मात्र ऐसे नेता हैं जिन्हें एक साथ दो जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। प्रचार अभियान समिति के प्रमुख के अलावा, कांग्रेस कार्यसमिति में भी जगह दी गई है। अरुण यादव, मनमोहन सरकार में मंत्री रह चुके हैं और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव के बेटे हैं। उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाकर ही कमलनाथ को कमान सौंपी गई है। अध्यक्ष पद से हटाए जाने से वो नाराज बताए जा रहे थे और कार्यकारिणी में जगह देकर उसकी भरपाई करने की कोशिश की गई है। सुभाष यादव पिछड़ों के नेता थे, और अरुण यादव का भी मालवा-निमाड़ इलाके में अपना एक वोट बैंक है। राज्य में ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए भी राहुल गांधी ने ये कदम उठाया है।
युवाओं को बढ़ाना चााहते हैं गांधी
कमलनाथ को पहले ही प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी जा चुकी है हालांकि पार्टी ने किसी गुटबाजी से बचने के लिए दोनों में से किसी को भी सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं किया है। दूसरी तरफ राहुल गांधी पार्टी की सबसे महत्वपूर्ण संस्था में युवाओं को जगह देने चाहते हैं। इसलिए दो बुजुर्गों को बाहर कर दो युवा नेताओं को तरजीह दी गई है। दिग्विजय सिंह महासचिव के तौर पर पार्टी को अपेक्षित सफलता दिला पाने में नाकाम साबित हुए हैं हालांकि उन्हें मध्यप्रदेश में तमाम गुटों के बीच समन्वय का काम सौंपकर सम्मान बरकरार रखा गया है। दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश में इसलिए भी तवज्जो दी गई है ताकि ठाकुर वोट बैंक को पार्टी अपने साथ रख पाए।
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राजस्थान से रघुवर मीणा को कार्यसमिति में जगह
राजस्थान में मीणा वोट बैंक बहुत निर्णायक है और बीजेपी मीणा जाति के महत्वपूर्ण नेता किरोड़ीलाल मीणा को पहले ही अपने पाले में कर चुकी है। मीणा वोट बैंक को ही खुश करने के लिए राहुल गांधी ने राजस्थान से रघुवीर मीणा को कार्यसमिति में जगह दी है। इसी तरह छत्तीसगढ़ से ताम्रध्वज साहू को जगह दी गई। साहू दुर्ग संसदीय क्षेत्र से पार्टी के लोकसभा मेंबर है और पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के भी अध्यक्ष हैं। भूपेश बघेल पहले से ओबीसी वर्ग से हैं और पार्टी ये जताना चाहती है कि वो पिछड़ों को लेकर गंभीर है। छत्तीसगढ़ में ओबीसी वोट बैंक बहुत निर्णायक है।
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